जैमिनी कारकांश और मण्डूक दशा से भविष्यवाणी
जैमिनी ज्योतिष के इतिहास में श्री के.ऐन.राव की पुस्तक. "प्रेडिक्टिंग थ्रू जैमिनी चर दशा" एक मील का पत्थर सिद्ध हुई । इसके पूर्व कोई ऐसी पुस्तक उपलब्ध नहीं थी जिसमे जैमिनी ज्योतिष कै द्वारा फलादेश किस प्रकार किया जाता है, ऐसा दर्शाया गया हो I जयपुर में इस पुस्तक के गहन अध्ययन एवं परिक्षण के बाद, सितम्बर 1995 में यह कहा गया कि पिछले दो हज़ार वर्षों में जैमिनी ज्योतिष के विकास की यह एक महानतम घटना है I श्री राव को इस पुस्तक के लिए स्वर्ण - पदक प्रदान किया गया I
प्रस्तुत पुस्तक इसी श्रृंखला की एक और कड़ी है i जैमिनी ज्योतिष की किसी भी पुस्तक ने इस दशा की कोई भी खूबी नहीं दर्शाई है i जैमिनी ज्योतिष पर लिखने वाले सभी लेखक आपको भ्रम में दाल देते हैं i वे कभी किसी दशा का फलादेश के लिए कैसे उपयोग किया जाता है , बताते ही नहीं i
लेखक ने अपनी इस पुस्तक में अपने शोध को प्रस्तुत किया है i उन्होंने मण्डूक दशा द्वारा फलादेश कुंडलियों पर दिखाया है i तीस से अधिक कुंडलियों पर लेखक ने अपना शोध सिद्ध किया है
भुवन दीपक प्रश्न का फल विचार करने हेतु प्राथमिक जानकारी प्रत्येक भाव से विचारणीय प्रश्न प्रश्नकालीन लग्न एवं चन्द्रमा के महत्व का निरूपण लग्नेश और कार्येश के सम्बन्ध से कार्य...
ग्रह और संतान
इस पुस्तक का गहन अध्ययन कीजिए I ऐसा करके आप भविष्यवाणी कर पाएंगे -
१ संतान के जन्म की
२ संतान के साथ दुर्घटना इत्यादि की
३ संतानहीनता की समस्या तथा उसके दैवीय उपाय की तथा संतानहीनता और उसके साथ घटित होने वाली दुर्घटनाओं से निजात पाने की
४ संतान विषय पर ऐसी पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई I
५ प्रसूति रोग विशेषज्ञ जो ज्योतिष जानते है इस पुस्तक से लाभ उठा सकते है और वे ज्योतिषी-सहानुभूति रखने वाले प्रसूति- रोग विशेषज्ञों की मदद कर सकते है, इस पुस्तक के माध्यम से, उनको ज्योतिषीय सहायता देकर जिसकी उन्हें बहुत आवश्य्कता होती है I
Grah Aur Santaan
PRASNA VIDYA - Hindiविद्वान दैवज्ञ को सर्वप्रथम जातक या प्र्श्न विचार करते समय मनुष्यों की आयु की परीक्षा करनी चाहिए l आयु विचार के उपरान्त ही शेष शुभाशुभ फलों की परीक्षा करना...
फलित नाड़ी ज्योतिष ग्रह युति (एक विह्गम दृष्टिपात )
१. नाड़ी ग्रंथो का परिचय
२. भृगु - नंदी नाड़ी : मूल सिद्धांत
३. ग्रहो की प्रवृति
४. दो अथवा तीन ग्रहो की युति के प्रभाव
५. चार या अधिक ग्रहो की युति
६. जीवन पथ विशलेषण - गुरु गोचर चक्र
७. नाड़ी ज्योतिष के ग्रह युति सरेखण एवं कारकत्व
ज्योतिष शास्त्र के गूढ़ सिद्धान्तों को सही ढंग से समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इसके परिणाम स्वरुप सही फलकथन नहीं कर पाते है l इससे वह...
Ashtakavarg Mahanibandh (Hindi) by SC Mishra अष्टकवर्ग महानिबन्ध: ज्योतिष शास्त्र को वैदिक ज्ञान का नेत्र कहा गया है l इस कथन की प्रमाणिकता फलादेश की सत्यता एवं सटीकता पर आधारित...
हिन्दू ज्योतिष में कर्म और पुनर्जन्म अनेक जन्मपत्रिकाओं के दृष्टांतो सहित व्याख्यातित पुनर्जन्म के विषय की व्याख्या हेतु पुनर्जन्म के विषय में दोनों जन्मो की जन्मपत्रियों के मध्य ज्योतिषीय सम्पर्क...
दशाफल दर्पण जातकतत्व, पत्रिमार्गप्रदीप आदि प्रसिद्ध ग्रंथो के रचयिता श्री महादेव पाठक जी (रतलाम) के सुपुत्र श्री निवास पाठक कृत यह ग्रन्थ लगभग १५० सौ वर्ष पहले संस्कृत में लिखा...