ज्योतिष का उद्गगम गुफा मानव के साथ ही हुआ, जो बाद में वेदों में प्रकट हुआ। गुफा मानव आरंभ से ही महान खोजी, आविष्कारक, मानव व्यवहार का अध्येता, विचारक व...
आधुनिक परिवेश में मानव मानसिक और भौतिक समस्याओं से इस प्रकार घिर गया है कि उसे अपने चारों ओर गहनतम अंधकार ही दिखाई देता है। इस अंधकार में “ज्योतिष” प्रकाश की एक किरण के समान उसके सामने आती है और मानव ज्योतिष के द्वारा अपनी राशि, ग्रह-नक्षत्र और उनके योग में अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने लगता है। समाधान उसेमिल भी जाता है-यहीं से उसे प्रेरणा मिलती है--“ज्योतिष कैसे सीखें" ।
प्रस्तुत पुस्तक पं. केवल आनंद जोशी द्वारा लिखित इसी प्रेरणा का साकार रूप है।
ज्योतिष शास्त्र भूत, भविष्य तथा वर्तमान का आन्तरिक चित्रण है।जन्मपत्री के द्वादश भावों से जन्म से से मोक्ष तक की जानकारी होती है। इसके तिए आवश्यक है जन्मपत्री का अति शुद्ध निर्माण-इसमें जरा सी गलती होने से ही फलित गतत हो जाता है। इसी कमी को पूरी तरह से दूर करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। शुद्ध व सटीक जन्मपत्री निर्माण हेतु सभी आवश्यक एवं उपयोगी सामग्री के
साथ चंद्र स्पष्ट , महादशा , अन्तर्दशा , प्रत्यंतर दसा निकालने के सूत्र ( फ़ॉर्मूलास) उदाहरण सहित दिये गए है, जिससे पाठक स्वयं शुद्ध जन्मपत्री निर्माण कर सकें । पुस्तक पढ़िये और प्रकांड विद्वान् बनने का सपना साकार कीजिये |
पंडित शशिमोहन बहल ज्योतिष विद्या के अनुभवी व प्रसिद्ध लेखक हैं। इस पुस्तक में उन्होंने ज्योतिष विज्ञान से संबंधित बहुपयोगी जानकारी दी है। ज्योतिष में रुचि रखने वाले जिज्ञासुओं के लिए यह...