NADI JYOTISH SHASTRA ज्योतिष शास्त्र की ही एक प्राचीन विधा है - - नाड़ी ज्योतिष I यह दक्षिण भारत में विशेष रूप से प्रचलित है I दक्षिण भारत में अनेक नाड़ी ग्रन्थ लिखे गए, जो मानव जीवन की रहस्यमय घटनाओ का उदघाटन करते है I ये नाड़ी ग्रन्थ ग्रह - स्थिति पर आधारित होने के बावजूद फलादेश प्रधान है I जन्मकुण्डली का विश्लेषण सूक्ष्मता से करने में नाड़ी ग्रन्थ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है I प्रस्तुत पुस्तक 'नाड़ी ज्योतिष शास्त्र ' चंद्र नाड़ी या...
बिना दृष्टि के जीवन उस अँधेरी रात की तरह है , जिसमे अपने शारीर के अंगो का भी एहसास नहीं होता I यही स्थिति ज्योतिष ज्ञान के बिना मानव जीवन की है I ज्योतिष एक प्राचीन शास्त्र है जिसकी अवहेलना नहीं की जा सकती I लेकिन इस प्राचीन ज्ञान अर्थार्त ज्योतिष को नकारने की परंपरा इन दिनों समाज में विकसित हुई है I परन्तु मजे की बात यह है की ऐसा वर्ग भी किन्ही विशेष स्थितियों- परिस्थितियों में देवज्ञ की शरण लेता है और वहां उसे अपनी समस्याओं का समाधान भी मिलता है I यही स्थिति एक सामान्य व्यक्ति की भी है I वह भी कुछ विशेष अवसरों पर ज्योतिष शास्त्र का आश्रय लेता है I
यहाँ यह वाट विचारणीय है की यदि किन्ही विशेष स्थितियों - परिस्थितयो या विशेष आयोजनों पर ज्योतिष के मार्ग दर्शन से हम शुभ और लाभ प्राप्त कर सकते है, तो नित्यप्रति की छोटी - बड़ी समस्याओं का निराकरण क्या इस विशिष्ट शास्त्र द्वारा नहीं कर सकते ? ज्योतिष शास्त्र समस्याओं का समाधान तो सुझाता ही है , वह जीवन की प्रतिकूलताओं को अनुकूलताओं में भी परिवर्तित कर देते है I यहाँ यह भी जाना जरूरी है की उपायों के रूप में ज्योतिष शास्त्र तंत्र, मंत्र और यन्त्र साधनाओ का भी उपयोग करते है I
इस पुस्तक में जन्म कुंण्डली का विवेचना करने के बाद उसके समाधान भी सुझाए गए है I यदि श्रद्धा और आस्थापूर्वक इन उपायों को यथा विधि किया जाए तो मनचाही कामना अवश्य ही पूर्ण होगी - ऐसा शास्त्र वचन है I
ज्योतिष द्वारा रोग निवारण
जन्मकुंण्डली में किस ग्रह से किस रोग का विचार करे, किस रोग की स्थिति में किस मंत्र - स्रोत्र का पाठ करे आदि का शास्त्र - सममत प्रतिपादन I पराविज्ञान के ज्ञाता देवज्ञ लेखक ने अपने अनुभव सिद्ध प्रयोगों का पुट देकर पुस्तक को अति उपयोगी बना दिया है I
ज्योतिष की दृष्टि से असाध्य रोगों का कारण सहित विवेचन I
प्रश्न फल निर्णय
ज्योतिष शास्त्र के तीन प्रमुख अंगो में प्रश्न मार्ग शास्त्र को भी, महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है i जिन व्यक्तियों के अपने जन्मस्थान, जन्मसमय अथवा जन्मतिथि का ठीक से ज्ञान नहीं है, उनके वर्तमान, भूत एवं भविष्य का फलकथन इस शास्त्र द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है I इसके अलावा अनेक महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर अधिक सूक्ष्मता के साथ प्रश्न शास्त्र के माध्यम से ही दिए जा सकते है I
प्रस्तुत ग्रन्थ 'प्रश्न फल निर्णय' प्रश्न शास्त्र पर आधारित है I इसमें यात्रा, धनसम्पत्ति, शिक्षा , संतान , रोग , विवाह, वर्षा, आयु और मृत्यु, तेजी-मंदी, आजीविका तथा भाग्योदय आदि विविध प्रकरणों पर अनेक प्रश्नों का फलकथन किया गया है I साथ ही प्रश्नकुंडली निर्माण, स्वर, शकुन, एवं चेष्टाओं की विस्तृत जानकारी, ताजिक शास्त्र के सहमो का प्रयोग, सर्वतोभद्र चक्रादि तथा शांति प्रकरण का भी इसमें समावेश है I
प्रश्न ज्योतिष के सन्दर्भ में 'गागर में सागर ' है यह ग्रन्थ I
विशोत्तरी दशाफल निर्णय सूर्यादि ग्रहो के भावफल, राशिफल, दृष्टिफल, अवस्था फल, राजयोगों, धनयोगों, दरिद्रयोगो तथा अरिष्टादि योगो का समस्त शुभाशुभ फल जातक को सबंधित ग्रहो की दशाओ में ही प्राप्त...
मनचाही सन्तान बेटा और बेटी (सन्तान प्राप्ति की शास्त्रीय एवं विज्ञानं सम्मत जानकारी ) बच्चों की किलकारियां ही घर की शोभा होती है l सन्तान से जंहा स्त्री की पूर्णता...
ज्योतिष वेद पुरुष का नेत्र है…'ज्योतिषम वेद चक्षु:। ज्योतिष शास्त्र में प्राणियों की जन्मकाल संबंधी ग्रहस्थिति से उनके जीवन में घटित होने वाले शुभाशुभ कार्यों का निदेश क्रिया गया है । वराहमिहिर कहते है-'...
भृगु संहिता (फलित दर्पण ) कुंडली मारकर बैठा हुआ सर्प देखने में कितना निष्क्रिय लगता है जबकि असल में, उस समय वह सारी सक्रियता को अपने में समेटे रहता है...