भाव दीपिका Author- GS Kapoor (Gauri Shankar Kapoor) जन्मकुण्डली में नवग्रहों के द्वादश भावगत फल द्वादश भाव सम्बन्धी व्यावहारिक अनुभवसिद्ध योग लग्नेश तथा अन्य भावेशों की विभिन्न भावो में स्थिति...
भाव भावेश फल विचार By KK Pathak इस पुस्तक में ग्रहो का विभिन्न भावो में स्थित होने का फल दिया गया है, जिसका ज्ञान किसी अन्य ज्योतिष ग्रन्थ में अप्राप्य...
विवाह का समय Author- Bpesvs
पुस्तक का वर्ण विषय ही विवाह का समय निर्धारण है I अत: इसमें विवाह का समय निकट है अथवा नहीं, विवाह कब होगा आदि का निर्धारण
करने के लिए विभिन्न ग्रहस्थितियो पर चर्चा की गई है I विभिन्न दोषो पर प्रकाश डाला गया है I साथ ही कुछ ऐसी बातो पर प्रकाश डाला गया है
जिनके विषय में सामान्य जन सोच भी नहीं सकते की इस बात का विवाह से कोई सम्बन्ध हो भी सकता है ? उदाहरण के लिये दशम भाव का
अध्ययन जातक के कार्य तथा व्यवसाय आदि के विषय में अध्ययन के लिये तथा पिता के लिये किया जाता है i सप्तमांश का प्रयोग मूलतः
संतान के विषय में अध्ययन करने के लिये किया जाता है I प्रस्तुत शोध कार्य में इस विषय में भी प्रकाश डाला गया है कि विवाह के विषय में
दशम भाव और सप्तमांश का क्या महत्व है I विशोत्तरी दशा तथा गोचर की विवाह के समय निर्धारण में क्या उपयोगिता है, इस बात पर भी
प्रकाश डाला गया है I ज्योतिष और वैवाहिक जीवन का परस्पर सम्बन्ध बताया गया है I अंत में विवाह से सम्बंधित कुछ सफल फलादेशों के
उदाहरण प्रस्तुत किये गए है I जिससे पाठको को इस नियमो को समझने तथा इनका प्रयोग करने में सरलता हो I इस प्रकार विवाह के समय
निर्धारण के विषय में यह शोधकार्य पाठको को उचित मार्ग दर्शन करने में निशिचत रूप से सक्षम है, ऐसी हमारी मान्यता है I हिंदी प्रेमियो की
भी मांग बार-बार हमारे पास आ रही थी I अत: प्रस्तुत संकलन का हिंदी अनुवाद पाठको के अवलोकनार्थ और समीक्षार्थ प्रस्तुत है कोई भी
परामर्श पाठक भेजे तो उसका स्वागत होगा I
सरलतम षड्बल पुस्तक में १० नये आयाम व् चमत्कारी सूत्रों का प्रयोग किया गया है l विद्याथिर्यों व् पाठकगणो का इसमें अत्यंत सरलता से षड्बल समझ में आ जाएगा l...
प्रारंभिक फलित ज्योतिष प्रत्येक जन्मकुंडली के ग्रह जातक के जीवन पर दो प्रकार के प्रभाव डालते है I उनमे से एक होता है स्थायी तथा दूसरा सामयिक I जन्मकालिक ग्रहो...
प्रस्तुत ग्रन्थ में ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव, ग्रहों के प्रभाव को जानने के साधन, ज्योतिष एवं कर्मवाद, ज्योतिष एवं आयुर्वेद, रोगोत्पति के कारण एवं ज्योतिष शास्त्र में रोग...
ज्योतिष और केरियर Author- Vivekshri Kaushik किसी को खुदाई में तुरन्त एवं मीठा पानी मिलता है, कोई कई प्रयत्न पर भी केवल खारा पानी ही पाता है l किसी को...
Author- SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) ज्योतिष एक सम्पूर्ण शाश्त्र है l शाश्त्र का क्रमबद्ध व प्रामाणिक ज्ञान तथा व्यावहारिक समन्वय ये दो तत्त्व मिलकर एक निपुण ज्योतिषी का निर्माण...
ज्योतिष शास्त्र में अंशात्मक चार्ट Author- SBR Mishra
अंशात्मक ज्योतिष के सम्बन्ध में कुछ लिखने के पूर्व यह आवश्यक है कि पाठको को आरम्भिक ज्योतिष का ज्ञान संक्षेप में करा दिया जाय जिससे पुस्तक कि शेष सामग्री को समझने में सरलता हो I मनुष्य का जीवन ८४ लाख योनियो के बाद प्राप्त होता है I एक-एक क्षण अनमोल है I इसका उपयोग कर भगवत तत्व प्राप्त करना जीवन का उद्देश्य है I कर्म ही जीवन है I पृथ्वी लोक भोग - भूमि न होकर कर्म भूमि है I भारतीय दर्शन के अनुसार कर्म तीन प्रकार के है - १. संचित कर्म २. प्रारब्ध कर्म ३. क्रियामाण कर्म I वर्तमान तक किया गया कर्म संचित कहलाता है I यह एक प्रकार से बैंक में जमा राशि है I संचित से कुछ हितकर या अहितकर फल लेकर हम पैदा होते है जिसे प्रारब्ध कहा जाता है I वर्तमान जीवन में जो हम कर्म करते है वह क्रियामाण है I
यह पुस्तक इस बात को ध्यान से रखकर लिखी गयी है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ है अत: एक अध्याय प्राम्भिक ज्योतिष का दिया गया है I सप्तम बिन्दु को ध्यान में रखकर भगवान् अनन्त के आत्यनितक अनुग्रह से ज्योतिष शास्त्र के प्रेमी पाठको के सामने यह नूतन रचना प्रस्तुत करते हुए मेझे अपार हर्ष हो रहा है I इसमें वर्गीय कुण्डलियो का विश्लेषण किया गया है तथा अनेक उदाहरण देकर वास्तु को सरल ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है I
Jyotishiya Upaya - Sagarलेखक: राज कुमार (लेफ्टिनेंट कर्नल)प्रकाशक: सागर पब्लिकेशन यह पुस्तक ज्योतिषीय उपायों पर केंद्रित है, जिसमें विभिन्न ग्रहों और उनकी दशाओं के प्रभाव को संतुलित करने के लिए...