Parashar Uvaach [Hindi] by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Publisher: Pranav Publications शताध्यायी बृहत्पाराशरी के विशाल और व्यापक कलेवर से चुन चुन कर ऐसे खास और दैनिक व्यवहारोपयोगी पाराशरी नियमो का...
ग्रन्थ परिचय 600 वर्षों से भी पहले कदाचित् कही गई प्रस्तुत रचना ज्योतिषशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ गुरु श्री वेंकटेश द्वारा प्रोक्त है। दाक्षिणात्य विद्वान द्वारा हस्तान्तरित यह शास्त्र ज्ञान सम्भवत: सीधे...
लाल किताब के अद्धभूत टोटके एवं उपाय प्राय: नवग्रहों के कुप्रभाव से बचने के लिये रत्न, यंत्र व् जड़ी धारण, मंत्र जाप, नवग्रह उपासना आदि बताये जाते है I व्यस्तता...
ANK JYOTISH ( DR. NARAYAN DUTT SHREE MALI ) अंक ज्योतिष एक नवीन विधा है, जिसके द्वारा मात्र जन्म - तारीख से भविष्य फल स्प्ष्ट किया जा सकता है l अंक ज्योतिष...
एक समय ऐसा था जब ज्योतिष ज्ञान को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था लेकिन कालांतर में जब विदेशी शासकों का साम्राज्य रहा तो उन्होंने हिन्दू संस्कृति को क्षति पहुंचाई तथा धार्मिक...
फलित ज्योतिष - ज्योतिष पुस्तक माला ज्योतिष एक देवी विज्ञानं है जिससे भविष्य में झाँकने में हमें सहायता मिलती है I वैदिक ज्योतिष, (जिसे हिन्दू ज्योतिष प्रणाली के नाम से...
जिस प्रकार उत्तर भारत में भृगु संहिता एवं रावण संहिता प्रचलन में है उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों का प्रचलन है l उत्तर भारत में भृगु संहिता रखने वाले को भृगु शास्त्री कहते हैं उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी शास्त्री या नाड़ी रीडर कहते हैं दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों की संख्या निम्न है l
१ नाड़ी ग्रन्थ ७५
२ मंत्र नाड़ी ७२
३ तंत्र नाड़ी ७२
उपरोक्त में कुछ ही उपलब्ध हैं तथा किसी किसी में लिखित फलादेश सही नहीं है l महत्वपूर्ण नाड़ी ग्रन्थ हैं, चंद्र कला नाड़ी, कश्यप नाड़ी, भृगु नंदी नाड़ी, ध्रुव नंदी नाड़ी, अरुण संहिता, भृगु प्रश्न नाड़ी, कश्यप होरा, कपिला नाड़ी, शुक्र नाड़ी, भुजंदर नाड़ी, सप्त ऋषि नाड़ी आदि l
यह पुस्तक इस बात को ध्यान में रख कर लिखी गई है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ हैं इसीलिए प्रारंभिक ज्योतिष का एक अध्याय आरम्भ में दिया गया है जिस से नवीन विद्यार्थी भी नाड़ी ज्योतिष को समझ सके l नाड़ी ज्योतिष में लगन का महत्व नहीं है मुख्यतः शनि एवं गुरु के गोचर से फलादेश का कथन किया जाता है l
Saravali (Hindi) By SC Mishra सारावली सारावली वास्तव में ज्योतिष प्रेमियो के गले में सुशोभित होने वाली हारावली है l ५५ अध्यायों में लगभग २५०० श्लोको द्वारा ज्योतिषशास्त्र की जातक...
विवाह का समय
पुस्तक का वर्ण विषय ही विवाह का समय निर्धारण है I अत: इसमें विवाह का समय निकट है अथवा नहीं, विवाह कब होगा आदि का निर्धारण
करने के लिए विभिन्न ग्रहस्थितियो पर चर्चा की गई है I विभिन्न दोषो पर प्रकाश डाला गया है I साथ ही कुछ ऐसी बातो पर प्रकाश डाला गया है
जिनके विषय में सामान्य जन सोच भी नहीं सकते की इस बात का विवाह से कोई सम्बन्ध हो भी सकता है ? उदाहरण के लिये दशम भाव का
अध्ययन जातक के कार्य तथा व्यवसाय आदि के विषय में अध्ययन के लिये तथा पिता के लिये किया जाता है i सप्तमांश का प्रयोग मूलतः
संतान के विषय में अध्ययन करने के लिये किया जाता है I प्रस्तुत शोध कार्य में इस विषय में भी प्रकाश डाला गया है कि विवाह के विषय में
दशम भाव और सप्तमांश का क्या महत्व है I विशोत्तरी दशा तथा गोचर की विवाह के समय निर्धारण में क्या उपयोगिता है, इस बात पर भी
प्रकाश डाला गया है I ज्योतिष और वैवाहिक जीवन का परस्पर सम्बन्ध बताया गया है I अंत में विवाह से सम्बंधित कुछ सफल फलादेशों के
उदाहरण प्रस्तुत किये गए है I जिससे पाठको को इस नियमो को समझने तथा इनका प्रयोग करने में सरलता हो I इस प्रकार विवाह के समय
निर्धारण के विषय में यह शोधकार्य पाठको को उचित मार्ग दर्शन करने में निशिचत रूप से सक्षम है, ऐसी हमारी मान्यता है I हिंदी प्रेमियो की
भी मांग बार-बार हमारे पास आ रही थी I अत: प्रस्तुत संकलन का हिंदी अनुवाद पाठको के अवलोकनार्थ और समीक्षार्थ प्रस्तुत है कोई भी
परामर्श पाठक भेजे तो उसका स्वागत होगा I