This book deals with Vedic progression. The Samhitas like Bhrigu and Arun,and the Nadis have used this technique to make astounding predictions relating to a very large number of birth...
This book is a must for all Astrologers who want to include the power of the nodes in their work.It is not a book on past lives or psychology.It makes...
The title Bhaargava Naadika indicates that the book is based on the Naadi system of prediction prevalent in the Southern states of India. It is believed that Shri Bhaargava (Lord...
इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब लाल किताब पाँच भागो में क्रमश: 1939,1940, 1941, 1942, और 1952 में प्रकाशित हुई थी l 1952 में प्रकाशित पुस्तक इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब...
इस पुस्तक का क्षेत्र आपकी निम्न विषयों यर योग्य बनाता है-ज्योतिष की बोधगम्य विचारधारा प्रदान करना। वैदिक ज्योतिष के शब्दों का बोघ/ज्ञान कराना। जन्म कुंडली फलकथन के आधारभूत सिद्धान्तो का परिचय देना। फल...
फलित ज्योतिष के तीन आधार भूत अंगों - मुहूर्त, विवाह व सन्तान की एक स्थान पर सांगोपांग व्याख्या आधुनिक परिपेक्ष में मुहूर्त की व्यवहारिक उपयुक्तता विवाह के समय का पराशरी व अष्टकवर्ग विधि से निर्णय; वैवाहिक सम्बन्ध...
About the Book Maansagari is amongst a few ancient treatises which was composed in the primeval time. Although the exact origin of this text is not known, some scholars trace...
जिस प्रकार उत्तर भारत में भृगु संहिता एवं रावण संहिता प्रचलन में है उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों का प्रचलन है l उत्तर भारत में भृगु संहिता रखने वाले को भृगु शास्त्री कहते हैं उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी शास्त्री या नाड़ी रीडर कहते हैं दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों की संख्या निम्न है l
१ नाड़ी ग्रन्थ ७५
२ मंत्र नाड़ी ७२
३ तंत्र नाड़ी ७२
उपरोक्त में कुछ ही उपलब्ध हैं तथा किसी किसी में लिखित फलादेश सही नहीं है l महत्वपूर्ण नाड़ी ग्रन्थ हैं, चंद्र कला नाड़ी, कश्यप नाड़ी, भृगु नंदी नाड़ी, ध्रुव नंदी नाड़ी, अरुण संहिता, भृगु प्रश्न नाड़ी, कश्यप होरा, कपिला नाड़ी, शुक्र नाड़ी, भुजंदर नाड़ी, सप्त ऋषि नाड़ी आदि l
यह पुस्तक इस बात को ध्यान में रख कर लिखी गई है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ हैं इसीलिए प्रारंभिक ज्योतिष का एक अध्याय आरम्भ में दिया गया है जिस से नवीन विद्यार्थी भी नाड़ी ज्योतिष को समझ सके l नाड़ी ज्योतिष में लगन का महत्व नहीं है मुख्यतः शनि एवं गुरु के गोचर से फलादेश का कथन किया जाता है l
The theory of this book is the outcome of the sincere dedicated research of the author in the field of astrology. It is in tune with the navamsa and nadiamsa...
This book deals with the detailed results/ happenings in an individual’s life during the operation of various main periods, sub-periods and sub-sub periods of a planet. “ Dasha System” means...
ज्योतिष के झरोखे से जीवन - यात्रा के आयाम १. मूल सिद्धांत २. आयुदार्य ३. रोग/ स्वास्थ्य ४. शिक्षा ५. विवाह एवं वैवाहिक सुख ६. संतान ७. जीविका / व्यवसाय...
सृष्टि के समुदाय के उपरांत मानव समुदाय में महत्वकांक्षा जागृत हुई जिसके परिणामस्वरूप लोगो में आगामी जीवन के विषय में जानने कि इच्छा बलवंत हुई i इसी उत्कंठा के शमन के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के फलस्वरूप की पद्धितियों का विकास हर सभ्यता में हुआ I विकास के क्रम में ही खगोल के सिद्धांत विकसित होते गए जिसे निशिचत रूप से भौतिकशास्त्र एवं गणित से भी महती सहायता प्राप्त हुई I वर्तमान में प्रचलित ज्योतिष शास्त्र का प्रमुख आधार ही खगोलीय एवं गणितीय गणनाएं है I जन्म समय की खगोलीय स्थिति के आधार पर ही गणितीय गन्ना कर किसी जातक की जन्मकुंडली का निर्माण होता है I
इस पुस्तक में ज्योतिषीय खगोल एवं गणित के हर सूक्ष्म एवं विशद सिद्धांत समाविष्ट है जिनका विवेचन सरल रूप में उदारहण के साथ स्प्ष्ट किया गया है I