फलित नाड़ी ज्योतिष ग्रह युति (एक विह्गम दृष्टिपात )
१. नाड़ी ग्रंथो का परिचय
२. भृगु - नंदी नाड़ी : मूल सिद्धांत
३. ग्रहो की प्रवृति
४. दो अथवा तीन ग्रहो की युति के प्रभाव
५. चार या अधिक ग्रहो की युति
६. जीवन पथ विशलेषण - गुरु गोचर चक्र
७. नाड़ी ज्योतिष के ग्रह युति सरेखण एवं कारकत्व
Retrograde Planets at a glance Astronomical Background. Types of retrogression- rotation and revolution. Importance of Retrograde planets-views of classics & savants. Karmik theory and retrogression of Mercury & Venus. Retrogression...
ज्योतिष के झरोखे से जीवन - यात्रा के आयाम १. मूल सिद्धांत २. आयुदार्य ३. रोग/ स्वास्थ्य ४. शिक्षा ५. विवाह एवं वैवाहिक सुख ६. संतान ७. जीविका / व्यवसाय...
Astrology : A Quest Towards Unknown The universe is an ocean of mysteries and surprises. Why and from where we have come? What is our role and aim in this...
Prashan Vichar ( Ek Vaidik Drishtikon ) - Hindi पुस्तक-सार अनंतकाल से प्रशन शास्त्र एक बहुत लोकप्रिय,अद्वितीय और सटीक तकनीक रही है जो जातक की तत्काल चिंताओं / परेशानियों का समाधान...
Children & Astrology Child is a very sweet five letter word and is the purest and most innocent creation of God. He manifests all the necessary attributes which takes one...
Education & Astrology The evolution of human race to its present state is due to constant endeavour of each parent to see that even at the cost of their own...
Nakshtra Rahasya - Hindi नक्षत्रों का भी एक विचित्र संसार है जिन के साथ अनेकों कहानियां, किम्वदंतियां,धार्मिक/ आध्यात्मिक सोच और ज्ञान के भण्डार जुड़े हैं। नक्षत्र, वैदिक संस्कृति/ ज्योतिष का...
विभिन्न वर्गों की तुलना में नवांश की अपेक्षाकृत महत्ता सभी लोगो ने स्वीकार की है I ज्योतिष इसे जन्मकुंण्डली के ठीक बाद या समकक्ष या उससे भी बेहतर मानते है I लगभग सभी ज्योतिष कोई भी पूर्वानुमान देने से पहले , विभिन्न भावो और ग्रहों की शक्ति जानने के लिए कुंण्डली और नवांश का अध्ययन साथ-साथ करते है I वैदिक ज्योतिष में नवांश की एक उत्कृष्ट स्थिति है और इसके बहुपक्षीय प्रयोग तथा निपुणता किसी भी विषय के सूक्ष्म परिक्षण और गहन अध्ययन के लिए बरबस ध्यान आकर्षित करती है I जेमिनी और नाड़ी पद्धति के अतिरिक्त ज्ञान और बुद्धिमतापूर्ण सिद्धांतो ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है I लेखक ने इन दोनों पद्धतियों का समावेश इस पुस्तक में करने का प्रयास किया है I जन्म कुंण्डली का अध्ययन भावो और ग्रहों के केवल स्थूल संकेत और गुण बताते है I जबकि नावश उनके विस्तृत और सूक्षतम् गुणों को बताते है I नवांश का आकार और विस्तार मूल रूप से एक चौथाई भाग के बराबर है I एक भाव / राशि लगभग ३० डिग्री का होता है जबकि नवांश उसका सूक्षतम् रूप (राशि का १/९ भाग या केवल ३" २०' ही) है जो इसे विलक्षण गुण देता है I
DELINEATING A HOROSCOPE Astrology is a great science based on sound principles and theory of karma through cycles of rebirth . A horoscope is basically a map of zodiac indicating...
The author has discussed the following points in the book 1)Vedic approach to prashna, need & utility of prashna 2)Basic concepts of signs, Nakshatras, Houses & Significators 3)General concepts of...