Yogini Dasha Se Phalit (Hindi) by VP Goel यह पुस्तक योगिनी दशा पद्धति को अपने उस महत्वपूर्ण स्थान पर आसीन करती है, जो स्थान पराशर जी द्वारा दिया गया है।...
Laghu Parashari - Hindi उद्दुदायप्रदीप नामक मौलिक ग्रन्थ 'लघुपाराशरी ' के नाम से प्रसिद्ध है l इस ग्रन्थ में विशोत्तरी दशा पद्धति पर आधारित महत्वपूर्ण श्लोक दिए गए है l...
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के शोधित सटीक उपाय इस पुस्तक में लेखक द्वारा व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह नक्षत्रो, जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहो की स्थिति आदि की जानकारी के साथ...
Author- SK Anil यह पुस्तक मेरे गुरु श्री एस पी खुल्लर जी द्वारा विकसित " कस्पल इंटेरलिंक्स एंड सब सब थ्योरी " अर्थात " नक्षत्र ज्योतिष " पध्दति पर आधारित...
Author- KK Joshi कोट चक्र " जन्म नक्षत्र " से आरम्भ करके २८ नक्षत्रों का एक ऐसा चक्र है जो हमें अति - संवेदनशील नक्षत्रों तथा अल्प - संवेदनशील नक्षत्रों...
इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब Author- Mohammad Hanif Khan लाल किताब पाँच भागो में क्रमश: 1939,1940, 1941, 1942, और 1952 में प्रकाशित हुई थी l 1952 में प्रकाशित पुस्तक इल्मे...
Author- Raj Kumar Lt Col
विभिन्न वर्गों की तुलना में नवांश की अपेक्षाकृत महत्ता सभी लोगो ने स्वीकार की है I ज्योतिष इसे जन्मकुंण्डली के ठीक बाद या समकक्ष या उससे भी बेहतर मानते है I लगभग सभी ज्योतिष कोई भी पूर्वानुमान देने से पहले , विभिन्न भावो और ग्रहों की शक्ति जानने के लिए कुंण्डली और नवांश का अध्ययन साथ-साथ करते है I वैदिक ज्योतिष में नवांश की एक उत्कृष्ट स्थिति है और इसके बहुपक्षीय प्रयोग तथा निपुणता किसी भी विषय के सूक्ष्म परिक्षण और गहन अध्ययन के लिए बरबस ध्यान आकर्षित करती है I जेमिनी और नाड़ी पद्धति के अतिरिक्त ज्ञान और बुद्धिमतापूर्ण सिद्धांतो ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है I लेखक ने इन दोनों पद्धतियों का समावेश इस पुस्तक में करने का प्रयास किया है I जन्म कुंण्डली का अध्ययन भावो और ग्रहों के केवल स्थूल संकेत और गुण बताते है I जबकि नावश उनके विस्तृत और सूक्षतम् गुणों को बताते है I नवांश का आकार और विस्तार मूल रूप से एक चौथाई भाग के बराबर है I एक भाव / राशि लगभग ३० डिग्री का होता है जबकि नवांश उसका सूक्षतम् रूप (राशि का १/९ भाग या केवल ३" २०' ही) है जो इसे विलक्षण गुण देता है I