Prashna Sandarshanam [Hindi] by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Publisher: Pranav Publications मन में उठने वाले न जाने कैसे -कैसे प्रश्न कभी संशय और दुविधा की उमड़ घुमड़ मचाते है तो...
Jatak Bhushanam by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Jatak Bhushanam is a renowned work by the esteemed astrologer Suresh Chandra Mishra, offering deep insights into the art of astrology and...
ताजिक नीलकंठी Author-SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) ताजिक नीलकंठी मूलतः यवन ज्योतिष पर आधारित रचना है जिसमे वर्ग कुंडली के आधार पर जन्म के पश्चात के वर्षो के शुभाशुभ फल...
Parashar Uvaach [Hindi] by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Publisher: Pranav Publications शताध्यायी बृहत्पाराशरी के विशाल और व्यापक कलेवर से चुन चुन कर ऐसे खास और दैनिक व्यवहारोपयोगी पाराशरी नियमो का...
शरीर लक्षण एवं चेष्टाएँ Author-SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) शरीर लक्षण ज्योतिष शास्त्र का एक प्रमुख अंग है l वैदिक साहित्य से लेकर, आधुनिक साहित्य व ज्योतिष वाड्मय में मानव...
Vridha Yavana Jataka by SC Mishra ग्रन्थ परिचय फलित ज्योतिष की प्राचीन सिद्धान्त धारा की पावन गंगोत्री रूपी रचना, लगभग 1800 वर्ष पहले भारतवर्ष में लिखी गई, जो अलभ्य थी, वह...
Panchadhyayee ( A Compendium of Predictive Astrology) by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Publisher: Pranav Publications The ‘Panchadhyayee’ contains the real essence of classics and efficiently deals with many useful techniques...
Author- SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) ज्योतिष एक सम्पूर्ण शाश्त्र है l शाश्त्र का क्रमबद्ध व प्रामाणिक ज्ञान तथा व्यावहारिक समन्वय ये दो तत्त्व मिलकर एक निपुण ज्योतिषी का निर्माण...
VEDANGA JYOTISHAM Author- SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Vedanga jyotisham (v) is the ancient work on the discipline called Vedic Astrology. This petite composition was sermonized by sage Lagadha about...
Author - SC Mishra (Suresh Chandra Mishra)
इस ग्रन्थ में जातक विषयों पर एक नये दृष्टिकोण का साक्षात्कार होता है जो अन्य ग्रंथो से थोड़ा भिन्न है l मन्त्रेश्वर के गोचर फल कथन अतयन्त तर्कपूर्ण और तथ्यात्मक है l भावफलकथन में भी मन्त्रेश्वर के वैशिष्ट्य की झलक देखने को मिलती है l सर्वतोभद्र पर विशेष टिप्पणी दी गयी है जो गोचरफल कथन में विशेष उपयोगी है l तत्सम्बन्धी उदाहरण भी दिये गये है l साथ ही कालचक्र दशा की सोदाहरण विशद व्याख्या दी गई है l टिका में आवष्यकतानुसार गणितीय उदाहरण तथा अन्य परम्परागत जातक ग्रंथो के विचारों को यथास्थान उद्द्त किया गया है l
अंत में इस ग्रन्थ को अपने शुद्धतम रूप में ज्योतिष जगत के समक्ष प्रस्तुत करने में अथक, अमूल्य सहयोग और परिश्रम के लिए 'चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन' के व्यवस्थापक गुप्त -बन्धुओ के प्रति से अतयन्त आभारी हु l
Phal Deepika by Mantreshwar in Hindi