ऋषि मन्त्रेश्वर विरचित 'फलदीपिका ' एक अनमोल वैदिक ज्योतिषीय ग्रन्थ है, जिसमें लयबद्ध संस्कृत में लिखित 28 अध्याय हैं। इस ग्रन्थ का ज्योतिषीय शास्त्रों में बहुत उच्च स्थान है । फलदीपिका में...
Author- Shrikrishan Jugnu मूल संस्कृत श्लोको की हिंदी व्याख्या व् समालोचनात्मक विवेचन से सुभूषित यह रचना बड़े मुहर्त ग्रंथो में भीतर पैठने से पूर्व नए विधाथिर्यो को अभ्यास करके विषय...
Author- Hemant Kumar Sharma फलित ज्योतिष में लघुपाराशरी का महत्वपूर्ण स्थान है I इस लघु ग्रन्थ में आचार्य ने फलित के ऐसे अनेक गूढ़ रहस्यों को भर दिया है, जो...
होराशास्त्रम (बृहज्जातकम) Author- Satyendra Mishra
होराशास्त्रम विञ्जनों द्वारा प्रतिपादित शब्दशास्त्रन्यायशास्त्रदि अनेक शास्त्रों का बहुत बार अध्ययन करने पर भी जो होरा शास्त्ररूपी महासमुद्र को तैरने में सक्षम नहीं हो पाते उन लोगो के लिए नौका स्वरुप इस ग्रन्थ को मै बनाता हूँ, जो अल्प शब्द और बहुत अर्थो से युक्त है I
अहरोत्र का दूसरा नाम होरा होता है I अहोरात्र के पूर्व वर्ण 'अ' और अंत्यवर्ण 'त्र ' के लोप होने से बीच के 'होरा' ये दो अक्षर बाकी रह जाते है I होरा 'लग्न ' को भी कहते है I यह 'होरा' मनुष्य के पूर्व जनमाजिर्त शुभाशुभ कर्मफल को प्रकाशित करता है I
दो मछलियों में परस्पर एक के मुख में दूसरे की पूँछ मिलाकर जो स्वरूप बनता है वह मीन राशि का स्वरूप है I कंधे पर घड़े रखे हुए पुरुष के जैसा कुंभ राशि का स्वरूप है I मिथुन राशि का स्वरूप स्त्री - पुरुष जोड़ा है जिसमे पुरुष के हाथ में गदा तथा स्त्री के हाथ में वीणा है I धनुराशि का कमर से ऊपर मनुष्य का शरीर जो हाथ में धनुष वाण लिए है और कमर के निचे घोड़े का शरीर है I बड़े - बड़े सिंहो से युक्त हरिनमुख तथा मगरमच्छ शरीर सदृशं मकर का स्वरूप है I
इस ग्रन्थ में 'रुद्रविवर्णी' संस्कृत टिका के साथ - साथ 'प्रज्ञावृद्धिनी' हिंन्दी टिका भी दी गई है जिसमे सरल शब्दों में ग्रन्थ के दुरूह स्थलों को समझाया गया है i साथ ही सारणी एवं चक्रो के द्वारा योगो के स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है कि छात्रों को कम समय में ही विषय का ज्ञान हो सके i
Shat Panchashika [Hindi] By Bhojraj Dwivedi Publisher: Diamond Books The book likely begins with an introduction to the original text, its historical context, and its significance in the field of Vedic...
MAYAMATAM - Hindi (मयमतम्) एक प्राचीन वास्तुशास्त्र ग्रंथ है, जो भारतीय स्थापत्य कला और वास्तुकला का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। यह ग्रंथ मय नामक ऋषि द्वारा रचित है, जिन्हें...
Laghu Parashari - Hindi उद्दुदायप्रदीप नामक मौलिक ग्रन्थ 'लघुपाराशरी ' के नाम से प्रसिद्ध है l इस ग्रन्थ में विशोत्तरी दशा पद्धति पर आधारित महत्वपूर्ण श्लोक दिए गए है l...