विवाह का समय
पुस्तक का वर्ण विषय ही विवाह का समय निर्धारण है I अत: इसमें विवाह का समय निकट है अथवा नहीं, विवाह कब होगा आदि का निर्धारण
करने के लिए विभिन्न ग्रहस्थितियो पर चर्चा की गई है I विभिन्न दोषो पर प्रकाश डाला गया है I साथ ही कुछ ऐसी बातो पर प्रकाश डाला गया है
जिनके विषय में सामान्य जन सोच भी नहीं सकते की इस बात का विवाह से कोई सम्बन्ध हो भी सकता है ? उदाहरण के लिये दशम भाव का
अध्ययन जातक के कार्य तथा व्यवसाय आदि के विषय में अध्ययन के लिये तथा पिता के लिये किया जाता है i सप्तमांश का प्रयोग मूलतः
संतान के विषय में अध्ययन करने के लिये किया जाता है I प्रस्तुत शोध कार्य में इस विषय में भी प्रकाश डाला गया है कि विवाह के विषय में
दशम भाव और सप्तमांश का क्या महत्व है I विशोत्तरी दशा तथा गोचर की विवाह के समय निर्धारण में क्या उपयोगिता है, इस बात पर भी
प्रकाश डाला गया है I ज्योतिष और वैवाहिक जीवन का परस्पर सम्बन्ध बताया गया है I अंत में विवाह से सम्बंधित कुछ सफल फलादेशों के
उदाहरण प्रस्तुत किये गए है I जिससे पाठको को इस नियमो को समझने तथा इनका प्रयोग करने में सरलता हो I इस प्रकार विवाह के समय
निर्धारण के विषय में यह शोधकार्य पाठको को उचित मार्ग दर्शन करने में निशिचत रूप से सक्षम है, ऐसी हमारी मान्यता है I हिंदी प्रेमियो की
भी मांग बार-बार हमारे पास आ रही थी I अत: प्रस्तुत संकलन का हिंदी अनुवाद पाठको के अवलोकनार्थ और समीक्षार्थ प्रस्तुत है कोई भी
परामर्श पाठक भेजे तो उसका स्वागत होगा I
Kalsarpyog Shanti aur Ghat Vivah Par Shodhkarya [Hindi] by Bhojraj Dwivedi Publisher: Diamond Books कालसर्पयोग शान्ति एवं घट - विवाह पर शोध कार्य सर्पो से मैत्री स्थापित करना, उनकी पूजा से...
सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसके द्वाय हम मनुष्य के अंगों क़ो देखकर उसके स्वभांव एवं चरित्र का| पता लगा सकते हैं। जिस प्रकार हाथ की रेखाओं को देखकर जातक के भूत-भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती. है, उसी प्रकार हमें इस अंग-विद्या द्वारा जातक की मुखाकृति, शरीर की बनावट, हाव-भाव, चाल-छाल तथा अन्य क्रिया-क़लापों को
देखकर उसके स्वभाव, चरित्र, रुचि एवं अन्य विषयों के संबंध में ज्ञान प्राप्त होता है |
यह "विद्या ब्रहुत प्राचीन है। आज से सहसों वर्ष पूर्व लिखे गए पुराण; स्मृति, रामायण , महाभारत आदि, संस्कृत ग्रंथों में भी मनुष्य-शरीर” के विभिन्न शुभ-अशुभ लक्षणों का उल्लेंख प्रायां जाता है। प्रस्तुत पुस्तक उसी ज्ञान पर आधारित है। इसमें मानव-अंग्गो के लक्षणों की संपूर्ण जानकारी दी गई है।