चाणक्य नीति Author- Chanakya
विष्णुगुप्त चाणक्य एक असाधारण बालक थे I उनके पिता चणक एक शिक्षक थे I वह भी शिक्षक बनना चाहते थे I उन्होंने तक्षशिला विश्ववविधालय में राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की I इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर वय में ही अध्ययन कर लिया था I
उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकतां से उसके साथी तथा शिक्षक भी प्रभावित थे ; इसी कारण उन्हें ' कौटिल्य ' भी कहा जाने लगा I अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्ववविधालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे I इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्ध दृष्टि पड़ी, जिनमे सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख है Iपरन्तु चाणक्य भारतवर्ष को एकीकृत देखना चाहते थे I अत: उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और राष्ट्र सेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए I
चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा I कुछ लोग सोच सकते है कि उनका जीवन -दर्शन प्रतिशोध लेने की प्रेरणा देता है; लेकिन चाणक्य का प्रतिशोध निजी प्रतिशोध न होकर सार्वजनिक प्रतिशोध था I उन्होंने जनता के दुःख: दर्द को देखा और स्वय भोगा था I उसी का फरियाद लेकर राजा से मिले थे
चंद्र दशा फलदीपिका चंद्र दशा को १२ अध्यायों में विभाजित किया गया है जिनके अध्ययन से चन्द्रमा की महादशा व् अन्तर्दशा के विषय में सम्यक संज्ञान प्राप्त करके सटीक भविष्य...
चन्द्रकला नाड़ी Author- JN Bhasin चन्द्रकला नाड़ी मूल संस्कृत श्लोको का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, इसको हिंदी भाषा जनता की सेवा में प्रस्तुत करने का अर्थार्त इसके सार की व्याख्या...
Cheiro Hast Rekhayen Bolti Hain कीरो हस्तरेखाए बोलती है कम्पलीट एस्ट्रो - पामिस्ट्री हस्तरेखा विज्ञानं के अंतर्गत निम्न घटको पर ध्यान देना चाहिए, इनका अध्ययन करना चाहिए- १. पुरे हाथ...
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता 'कीरो' ने अपनी भारतया त्रा के दौरान यहां उपलब्ध वेद, उपनिषद् और अन्य प्राप्य सामग्री का गहन अध्ययन करने के पश्चात अपनी बेमिसाल कृत्ति 'लेंग्वेज ऑफ द हैंड” की रचना की, जो दुनिया में बेहद सराही गई और युगों-युगों तक सराही जाती रहेगी। हजारों ज्योतिषियों ने उनके ज्ञान की प्रशंसा की है और उनका अनुसरण किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में कीरो ने हाथों की बनावट , हाथ की रेखाओं और चिन्हों इत्यादि के आधार पर विस्तृत भविष्यवाणियां की हैं जो तकरीबन पूर्ण रूप से सत्यसाबित होती जा रही हैं।
चिकित्सा ज्योतिष के मौलिक तत्व Author- KS Charak
चिकित्सा ज्योतिष के मौलिक तत्व वैदिक ज्योतिष की एक स्तरीय पुस्तक है I इसमें जन्म कुंण्डली के विश्लेषण से सम्बंधित नियमो, विशेष रूप से रोग तथा इसके विभिन्न पहलुओ पर ध्यान केंद्रित किया गया है I इस पुस्तक के मुख्य आकर्षण है :
1.रोग के सम्बन्ध में कुंण्डली के विश्लेषण के नियम I
2.कुंण्डली से रोग निर्धारण की अचूक विधि का वर्णन एवं चार वर्ग कुण्डलियो तथा दो प्रकार की दशाओ का प्रयोग I
3. आरोग्य एवम अनारोग्य के नियमो का विवेचन I
4. जन्मजात रोगों के योग I
5.रोगों का प्रकोप तथा उनके परिणामो का सही समय सुनिशिचत करने की विस्तृत विधि I
6. शरीर के किस अंग में रोग होने की सम्भावना है, इसके सम्बन्ध में भावो तथा ग्रहो के कारकत्व एवं द्रेष्काण के प्रयोग का संकेत I
7. बालारिष्ट तथा अरिष्ट भांग के नियमो का विस्तार से वर्णन I
8.रोगों की उत्पति व् परिणाम का निर्णय करने के लिए ज्योतिष के सूक्ष्म नियमो, जैसे बाइसर्वे द्रेष्काण , चौषटवे नवांश, सर्वद्रेष्काण , गुलिक आदि का प्रयोग I
9.रोगों के सूचक कुछ शास्त्रीय योग तथा उनका वास्तविक कुण्डलियो के माध्यम से वैज्ञानिक विवेचन I
Book Title: Chune Hue Jyotish Yog (Important Planetary Yogas)Publisher: Ranjan Publications Author- JN BhasinLanguage: Hindi Description:"Chune Hue Jyotish Yog (Important Planetary Yogas)" is a must-read for anyone passionate about Vedic...
Cleansing Therapy - Cure Yourself [Hindi] अपना इलाज अपने हाथ by Piyush Saxena Publisher: Shanta Publishing House Books मैं, आप, आम जन ही नहीं... सिनेमा जगत के कई सितारे, नामी-गिरामी ब्यूरोक्रेट्स और...