यु तो ज्योतिष विज्ञानं पर अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके है और हो रहे है, परन्तु उनकी प्रमाणिकता सदा ही संदिग्ध रही है. प्रस्तुत पुस्तक अब तक प्रकाशित पुस्तकों से है कर लिखी गयी है तथा पूर्णतः प्रमाणिक एवं विश्वसनीय है. लेखक ने इस पुस्तक में अनेक ऐसे तथ्य उजागर किये है, जिन्हे जानकर बड़े-बड़े ज्योतिष भी दांतों टेल उगली दबा लेंगे . रेखाचित्रों की सहायता से उन्होंने अनेक प्रकार की ज्योतिष्य गणनाओं और गणितीय क्रियाओं को नवीन विधियों, सूत्रों एवं प्रक्रियाओं द्वारा इस प्रकार स्पष्ट किया है कि पुस्तक ज्योतिष प्रेमियों के साथ -साथ बड़े -बड़े ज्योतिषियों के लिए, भी...
अच्छा बोलने की कला और कामयाबी - डेल कारनेगी प्रखर वक्ता होना, ओजस्वी वाणी का स्वामी होना, प्रभावी शैली में श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर देने की क्षमता जिसमें हो, वह सामान्य व्यक्ति की...
AGNI KI UDAAN यह कहानी सिर्फ मेरी विजय और दुखों की ही नहीं है बल्कि आधुनिक भारत के उन विज्ञान प्रतिष्ठानों की सफलताओं की भी कहानी है, जो तकनीकी मोरचे...
चाणक्य नीति
विष्णुगुप्त चाणक्य एक असाधारण बालक थे I उनके पिता चणक एक शिक्षक थे I वह भी शिक्षक बनना चाहते थे I उन्होंने तक्षशिला विश्ववविधालय में राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की I इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर वय में ही अध्ययन कर लिया था I
उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकतां से उसके साथी तथा शिक्षक भी प्रभावित थे ; इसी कारण उन्हें ' कौटिल्य ' भी कहा जाने लगा I अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्ववविधालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे I इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्ध दृष्टि पड़ी, जिनमे सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख है Iपरन्तु चाणक्य भारतवर्ष को एकीकृत देखना चाहते थे I अत: उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और राष्ट्र सेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए I
चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा I कुछ लोग सोच सकते है कि उनका जीवन -दर्शन प्रतिशोध लेने की प्रेरणा देता है; लेकिन चाणक्य का प्रतिशोध निजी प्रतिशोध न होकर सार्वजनिक प्रतिशोध था I उन्होंने जनता के दुःख: दर्द को देखा और स्वय भोगा था I उसी का फरियाद लेकर राजा से मिले थे