भावार्थ रत्नाकर यह ग्रन्थ ज्योतिष पर एक अत्युत्तम अनुसंधानात्मक ग्रन्थ है l श्री रामानुज कृत 'भावार्थ रत्नाकर ' ज्योतिष साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है i यह ग्रन्थ...
व्यवसाय का चुनाव और आर्थिक स्थिति प्रस्तुत पुस्तक में हमने व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को ज्योतिष की सहायता से व् ज्योतिष के ही दृष्टिकोण से स्पष्ट करने का यथासंभव प्रयत्न...
Anisht Graha (Karan aur Nivaran) [Hindi] by J.N. Bhasin In Anisht Graha (Karan aur Nivaran), J.N. Bhasin presents an in-depth exploration of the malefic planets in Vedic astrology and their...
Jyotish Aur Rog (Medical Astrology) (Hindi) by J.N. Bhasin This book explores the profound connection between astrology and health, offering insights into diagnosing and addressing health issues through astrological charts....
योग्य ग्रंथकर्ता ने दशाफल में परम उपयोगी ग्रहों के स्वरूप को विशुद्ध रूप में देकर पुस्तक का प्रारम्भ क्रिया है । फिर गणित द्वारा दशा - अंतर्दशा आदि की सिद्धि का...
उत्तर कालामृत " उत्तर कालामृत " ज्योतिष जगत का एक प्रसिद्ध एवं सर्वमान्य ग्रन्थ है I इस मौलिक ग्रन्थ का प्रचार अभी तक दक्षिण भारत में अधिकतर रहा है I...
नक्षत्र फल दर्पण
भविष्यवाणी करने में जिन साधनो की आवश्यकता होती है उनमे नक्षत्र अपना विशिष्ट स्थान रखते है i भारतीय पद्धति में तो गणना का आरम्भ ही नक्षत्रो से होता है I इसीलिए भारतीय पद्धति नाक्षत्रिक पद्धति है I इसी पद्धति की उत्तकृष्टता, श्रेष्ठता एवं उपयोगिता पर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है I
नक्षत्रो के कारकत्व के सम्बन्ध में उनका दशा में प्रयोग कैसे होता है ? उनसे गोचर में फल कैसे कहा जाता है और उनका जन्म कुंण्डली में क्या महत्व है ? वे हमारी दशा पद्धति के कैसे मूल स्तम्भ है ? इत्यादि सभी उपयोगी विषयो का उल्लेख इस पुस्तक में है I
ग्रहो की उच्चता और नक्षत्र पाठको के विशेष देखने योग्य अध्याय है जिनके द्वारा भारतीय ज्योतिष की मौलिकता, उनका भारत में जन्म, उनका आध्यात्मिक आधार आदि बहुत सी बाते ज्योतिष जगत के सामने पहली बार लाई गई है I
चन्द्रकला नाड़ी चन्द्रकला नाड़ी मूल संस्कृत श्लोको का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, इसको हिंदी भाषा जनता की सेवा में प्रस्तुत करने का अर्थार्त इसके सार की व्याख्या करने के प्रयास...
षट्पंचाशिका विविध प्रश्नों का सटीक विचार l प्रश्नविज्ञान के मुलभूत सिद्धान्त l जीवन के ज्वलन्त प्रश्नों का समाधान l सात अध्यायों में समस्त विषयो का विभाजन l लगभग १४०० वर्ष...
Laghu Parasari - Hindi
लघु पाराशरी हमारी उस प्राचीन प्रतिपादन शैली का एक उत्कृष्ट व अनूठा नमूना है जिसके दर्शन हमें संस्कृत के सूत्रकारिका संग्रह आदि पद्धिति से रचित ग्रंथों में होते हैं i जिस प्रकार पाणिनीय व्याकरण में प्रवेश पाने के लिए लघु सिद्धांत कौमुदी के महत्त्व को सभी जानते हैं, उसी प्रकार फलित ज्योतिष के गहरे अध्ययन की और जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक मुख्य प्रवेश द्वार है i यही कारण है की सुदीर्घ काल से यह फलित ज्योतिष के पठन - पाठन में अपना अक्षुण्ण स्थान बनाए हुए है i सम्पूर्ण पाराशर मत का ४२ श्लोकों में जो नवनीत प्रस्तुत किया गया है वह वास्तव में ज्योतिष में प्रवेश चाहने वालों के लिए हृष्टि - पुष्टि व तुष्टि प्रदान करने वाला है i