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Hasta, Nachta, Gaata Dharm [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
हंसता, नाचता,गाता धर्म
जो व्यक्ति हँसते, नाचते और गाते हुए ध्यान में डूबता है, उसे एक नये सत्य का उद्घाटन होता है कि मेरे ऊपर कोई बंधन नहीं है I चेतना बिल्कुल स्वतंत्र है I ध्यान में डूबकर जब हम अपनी आत्मा को जानते है, वहाँ हम परमात्मा को पाते है और यह भी पाते है कि वह परमात्मा सदा-सदा से मुक्त है I उसके ऊपर कोई बन्धन नहीं है I जब भीतर एक बार उसका अहसास हो जाता है, तब यह भी पता चलता है कि सारा जगत, सारा अस्तित्व उसी परमात्मा, उसी चैतन्य से ओट-प्रोत है I यह पूरा विश्व ही एक मंदिर है I सर्वत्र ब्रह्म का वास है I वही भीतर है और वही बाहर है I लेकिन इस सर्वव्यापी परमात्मा को जानने के लिए हमे सबसे पहले उसे अपने भीतर तलाशना होगा I ध्यान में हम वही कोशिश करते है I अपने भीतर ईश्वर की खोज I
'ओशो के दीवाने हम, आनंद मनाते है,
हँसते -नाचते - गाते हम, ध्यान में जाते है I
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