Prashan Vichar ( Ek Vaidik Drishtikon ) - Hindi पुस्तक-सार अनंतकाल से प्रशन शास्त्र एक बहुत लोकप्रिय,अद्वितीय और सटीक तकनीक रही है जो जातक की तत्काल चिंताओं / परेशानियों का समाधान...
जब प्रश्नकर्ता और ज्योतिषी का परस्पर सम्पर्क होता है, उसी पल में समस्या का परिणाम छपा होता है। जिसे व्यक्त करती है, प्रश्न कुण्डली | जिसके अन्तर्गत किये गये अभीष्ट...
प्रश्न दर्पण इस समय ज्योतिष शास्त्र की ६ शाखांए प्रचलित है - जातक, प्रश्न, चिकित्सा , मौसम, राजनीतिक, शकुन, मुहूर्त, अंक और ताजिक I इनमे से प्रत्येक पर भारतीय, यूनानी,...
जन्म कुंडली द्वारा यह बताया जा सकता है कि जातक का अतीत क्या था, वर्तमान में वह किन स्थितियों - परिस्थितियों से गुजरेगा और उसके भविष्य के गर्त में क्या...
ग्रन्थ की विषयवस्तु - इस ग्रन्थ का नाम प्रश्न मार्ग है l अस्तु, यह ग्रन्थ देवज्ञ को जीवन से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है l यह समाधान जातकशास्त्र, प्रश्नशास्त्र,मुहुर्तशास्त्र, स्वरोदयविज्ञान, आयुर्वेद, प्राकृतिक लक्षण, सहिंताज्योतिष, शकुनशास्त्र, स्वप्नशास्त्र, व्यक्ति की भाव - भंगिमाएँ, उसकी चेष्टाएँ तथा उसके मनोविज्ञान पर आधारित होता है l अस्तु:,...
गुढार्थहोरा – सिद्धांत
ज्योतिष के तीन अंगो में से एक ज्योतिष शास्त्र है I सामान्य जनों के उपयोग एवं समझने के लिए यह तीन अंगो में सबसे अधिक प्रचलित है I कुंण्डली निर्माण यधपि सिद्धांत अर्थार्त गणितखंड में आता है, लेकिन उनके द्वारा जातक के जीवन में होने वाली अथवा हो चुकी घटनाओ के सम्बन्ध में जातकशास्त्र के द्वारा ही जाना जाता है I होराशास्त्र का अध्ययन करने के लिए तथा उससे भविष्य कथन करने के लिए कुछ नियमो का अत्यंत ज्ञान होना बहुत जरूरी है I
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रथम भाग में ज्योतिष फलकथन - संबंधी नियमो को ही स्पष्ट किया गया है I श्लोको के जो वास्तविक अर्थ होने चाहिए, उन्हे बताया गया है तथा उन्हे तर्क तथा उद्दरणों की सहायता से प्रतिपादित किया गया है I फलकथन करने में जो अनेको त्रुटियाँ तथा भ्रांतियाँ दैवग्यो में फैली हुई है, उन्हे स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है I अनेको मुलभुत प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है I
जन्मकुण्डली से फलकथन के नियमो को स्पष्ट करने तथा उन्हे संकलित करने का ही कार्य इस ग्रन्थ में मुख्य रूप से किया गया है I फलकथन करने के अनेको नियम भिन्न -भिन्न ग्रंथो में रत्नों के भांति बिखरे पड़े है I उन्हे संकलित करके उनके वास्तविक गूढ अर्थो के साथ तरतीब से विषयसामग्री की आवश्यकता के अनुसार निबद्ध किया गया है