No Products in the Cart
Call Us: +91 99581 38227
From 10:00 AM to 7:00 PM (Monday - Saturday)
Author- JN Bhasin
योग्य ग्रंथकर्ता ने दशाफल में परम उपयोगी ग्रहों के स्वरूप को विशुद्ध रूप में देकर पुस्तक का प्रारम्भ क्रिया है । फिर गणित द्वारा दशा - अंतर्दशा आदि की सिद्धि का सिद्धान्त तथा सारिणी देकर तथा चन्द्र स्पष्ट से सीधे ही दशा के शेष वर्षादि निकालने की सारिणी को देकर पाठकों के प्रयास को बहुत हद तक कम कर दिया है । विंशोत्तरी दशा का प्रयोग महर्षि पराशर के कारक-मारक सिद्धान्तो को समझे बिना असम्भव है । अत: यह सिद्धान्त प्रत्येक लग्न के लिए देकर पुस्तक की उपयोगिता को बढाया है । दशा का फल यदि एक लग्न के बजाय दो लग्नों से देखा जाय तो उसमें निश्चय आ जाता है । अतः इस उद्देश्य से सम्बन्धित सुदर्शन पद्धति में "दैवी" और
"आसुरी" वर्गीकरण से सोदाहरण विषय को स्पष्ट क्रिया है । पुन: मुक्तिनाथ तथा दशानाथ के जितने स्वरूप, सम्बद्धता तथा स्थितियां सम्भव थीं -सभी का सोदाहरण विशद वर्णन देकर दशा को क्रियात्मक रूप से लाभप्रद बना दिया हे। पुनश्च ज्योतिष के मौलिक तथा आवश्यक नियमों पर पराशर,वराह, मंत्रेश्वर आदि आचार्यों की सम्मति देकर तथा निज निर्मित संस्कृत श्लोक देकर विषय को सुस्पष्ट क्रिया हे। इसके अनन्तर ग्रन्यकर्ता ने विश्वसनीय कुण्डलियों के आधार पर विविध घटनाओं के घटित होने बाले दिन को दशा तथा गोचर दोनों के प्रयोग से सिद्ध क्रिया है और अन्त में दर्शाया है कि चिंशोत्तरी दशा सदा सर्वत्र एक सी है । इसमें शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में जन्म से कोई अन्तर नहीं पड़ता । इस बात की सिद्धि में श्रीमती इन्दिरा गाँधी की जन्मकुंडली को आधार मानकर सिद्धान्त निश्चित किया है । आशा है, पाठक प्रस्तुत पुस्तक का आदर करेंगे ।
Excellent. All books were too good. Delivery service was also upto the mark
| 0.5kg | ₹40 |
| 1kg | ₹70 |
| 1.5kg | ₹110 |
| 2kg | ₹130 |
| 2.5kg | ₹138 |
| 3kg | ₹170 |
| 4kg | ₹175 |
| 5kg | ₹200 |
| 7kg | ₹270 |
| 10kg | ₹325 |
| 12kg | ₹420 |
| 15kg | ₹530 |
| 20kg | ₹850 |
Excellent. All books were too good. Delivery service was also upto the mark


