होराशास्त्रम (बृहज्जातकम) Author- Satyendra Mishra
होराशास्त्रम विञ्जनों द्वारा प्रतिपादित शब्दशास्त्रन्यायशास्त्रदि अनेक शास्त्रों का बहुत बार अध्ययन करने पर भी जो होरा शास्त्ररूपी महासमुद्र को तैरने में सक्षम नहीं हो पाते उन लोगो के लिए नौका स्वरुप इस ग्रन्थ को मै बनाता हूँ, जो अल्प शब्द और बहुत अर्थो से युक्त है I
अहरोत्र का दूसरा नाम होरा होता है I अहोरात्र के पूर्व वर्ण 'अ' और अंत्यवर्ण 'त्र ' के लोप होने से बीच के 'होरा' ये दो अक्षर बाकी रह जाते है I होरा 'लग्न ' को भी कहते है I यह 'होरा' मनुष्य के पूर्व जनमाजिर्त शुभाशुभ कर्मफल को प्रकाशित करता है I
दो मछलियों में परस्पर एक के मुख में दूसरे की पूँछ मिलाकर जो स्वरूप बनता है वह मीन राशि का स्वरूप है I कंधे पर घड़े रखे हुए पुरुष के जैसा कुंभ राशि का स्वरूप है I मिथुन राशि का स्वरूप स्त्री - पुरुष जोड़ा है जिसमे पुरुष के हाथ में गदा तथा स्त्री के हाथ में वीणा है I धनुराशि का कमर से ऊपर मनुष्य का शरीर जो हाथ में धनुष वाण लिए है और कमर के निचे घोड़े का शरीर है I बड़े - बड़े सिंहो से युक्त हरिनमुख तथा मगरमच्छ शरीर सदृशं मकर का स्वरूप है I
इस ग्रन्थ में 'रुद्रविवर्णी' संस्कृत टिका के साथ - साथ 'प्रज्ञावृद्धिनी' हिंन्दी टिका भी दी गई है जिसमे सरल शब्दों में ग्रन्थ के दुरूह स्थलों को समझाया गया है i साथ ही सारणी एवं चक्रो के द्वारा योगो के स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है कि छात्रों को कम समय में ही विषय का ज्ञान हो सके i
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