Author- Krishna Kumar सभी द्वादश लग्न जातकों के गुण व दोष l सभी लग्नों की शक्ति व दुर्बलताएँ l द्वादश लग्नों के २४ होराफल l सूर्या व चद्र होरा में स्थित ग्रहों...
ज्योतिष शास्त्र में अंशात्मक चार्ट Author- SBR Mishra
अंशात्मक ज्योतिष के सम्बन्ध में कुछ लिखने के पूर्व यह आवश्यक है कि पाठको को आरम्भिक ज्योतिष का ज्ञान संक्षेप में करा दिया जाय जिससे पुस्तक कि शेष सामग्री को समझने में सरलता हो I मनुष्य का जीवन ८४ लाख योनियो के बाद प्राप्त होता है I एक-एक क्षण अनमोल है I इसका उपयोग कर भगवत तत्व प्राप्त करना जीवन का उद्देश्य है I कर्म ही जीवन है I पृथ्वी लोक भोग - भूमि न होकर कर्म भूमि है I भारतीय दर्शन के अनुसार कर्म तीन प्रकार के है - १. संचित कर्म २. प्रारब्ध कर्म ३. क्रियामाण कर्म I वर्तमान तक किया गया कर्म संचित कहलाता है I यह एक प्रकार से बैंक में जमा राशि है I संचित से कुछ हितकर या अहितकर फल लेकर हम पैदा होते है जिसे प्रारब्ध कहा जाता है I वर्तमान जीवन में जो हम कर्म करते है वह क्रियामाण है I
यह पुस्तक इस बात को ध्यान से रखकर लिखी गयी है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ है अत: एक अध्याय प्राम्भिक ज्योतिष का दिया गया है I सप्तम बिन्दु को ध्यान में रखकर भगवान् अनन्त के आत्यनितक अनुग्रह से ज्योतिष शास्त्र के प्रेमी पाठको के सामने यह नूतन रचना प्रस्तुत करते हुए मेझे अपार हर्ष हो रहा है I इसमें वर्गीय कुण्डलियो का विश्लेषण किया गया है तथा अनेक उदाहरण देकर वास्तु को सरल ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है I
संज्ञा विचार ( पौराणिक पद्धति से वर्ग विचार ) By Krishna Kumar महर्षि पराशर ने अपने होराशास्त्र में वर्ग कुण्डलियों का महत्व स्वीकारते हुए उन्हें ग्रह साधन व् राशीशील के...
Jaimini: Arudhas and Divisional Charts [English] By Anantha SharmaPublications : Sagar Publications Arudha means "mount" or "image" and refers to a reflection of the house it represents, capturing how one’s...
Author- Raj Kumar Lt Col
विभिन्न वर्गों की तुलना में नवांश की अपेक्षाकृत महत्ता सभी लोगो ने स्वीकार की है I ज्योतिष इसे जन्मकुंण्डली के ठीक बाद या समकक्ष या उससे भी बेहतर मानते है I लगभग सभी ज्योतिष कोई भी पूर्वानुमान देने से पहले , विभिन्न भावो और ग्रहों की शक्ति जानने के लिए कुंण्डली और नवांश का अध्ययन साथ-साथ करते है I वैदिक ज्योतिष में नवांश की एक उत्कृष्ट स्थिति है और इसके बहुपक्षीय प्रयोग तथा निपुणता किसी भी विषय के सूक्ष्म परिक्षण और गहन अध्ययन के लिए बरबस ध्यान आकर्षित करती है I जेमिनी और नाड़ी पद्धति के अतिरिक्त ज्ञान और बुद्धिमतापूर्ण सिद्धांतो ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है I लेखक ने इन दोनों पद्धतियों का समावेश इस पुस्तक में करने का प्रयास किया है I जन्म कुंण्डली का अध्ययन भावो और ग्रहों के केवल स्थूल संकेत और गुण बताते है I जबकि नावश उनके विस्तृत और सूक्षतम् गुणों को बताते है I नवांश का आकार और विस्तार मूल रूप से एक चौथाई भाग के बराबर है I एक भाव / राशि लगभग ३० डिग्री का होता है जबकि नवांश उसका सूक्षतम् रूप (राशि का १/९ भाग या केवल ३" २०' ही) है जो इसे विलक्षण गुण देता है I