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      संज्ञा विचार ( पौराणिक पद्धति से वर्ग विचार ) By Krishna Kumar
महर्षि पराशर ने अपने होराशास्त्र में वर्ग कुण्डलियों का महत्व स्वीकारते हुए उन्हें ग्रह साधन व् राशीशील के तुरंत बाद स्थान दिया है l वे कहते है -
अब मैं षोडश वर्गों का विवेचन करता हूँ l
१. लग्न से शरीर का तथा २. होरा वर्ग कुण्डली से सम्पति या आर्थिक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है l ३. द्रेष्टकाण से बल, पराक्रम व् भाइयो के सुख का तथा ४. चतुथार्श से भाग्य, भूमि व् घर- परिवार का सुख जाने l (५) सप्तमांश से भावी संतान या अगली पीढ़ी अर्थार्त पुत्र- पौत्रादि का विचार तथा (६) नवमांश से पत्नी, ससुराल व् दाम्पत्य जीवन का विचार किया जाता है l ७. दशमांश वर्ग कुण्डली से आजीविका या किसी महत्वपूर्ण कार्य योजना की सफलता का तथा (८) द्वादशांश से माता- पिता की स्थिति व् उनके सुख- दुःख का विचार किया जाता है (९) षोडशांश वर्ग कुण्डली से वाहन सुख (१०) विशांश कुण्डली से देव उपासना व् मंत्र सिद्धि तथा (११) चतुर्विंशांश वर्ग कुण्डली से विधा और बुद्धि बल का विचार किया जाता है l
 
          | 0.5kg | ₹40 | 
| 1kg | ₹70 | 
| 1.5kg | ₹110 | 
| 2kg | ₹130 | 
| 2.5kg | ₹138 | 
| 3kg | ₹170 | 
| 4kg | ₹175 | 
| 5kg | ₹200 | 
| 7kg | ₹270 | 
| 10kg | ₹325 | 
| 12kg | ₹420 | 
| 15kg | ₹530 | 
| 20kg | ₹850 | 


