विभिन्न वर्गों की तुलना में नवांश को अपेक्षाकृत महत्ता सभी लोगो ने स्वीकार की है l ज्योतिष इसे जन्म -कुंडली के ठीक बाद या समकक्ष या उससे भी बेहतर मानते...
दशमांश एक महत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है | यह पुस्तक दशमांश के व्यावहारिक उपयोग से सम्बंधित है | शिक्षा , व्यवसाय , प्रमोशन , प्रसिद्धि, स्थानांतरण, सेवा निवृति , व्यापार अथवा...
Navansh Se Phalit (Hindi) - By VP Goel नवांश से फलित - हिंदी में (वी.पी गोयल) यह पुस्तक नवांश का व्यवहारिक प्रयोग दिखाती है l नवांश के अनेक आयाम जैसे विवाह,...
पुस्तक की विशेषताएं ग्रंथों में दिए गए सूत्र सैकड़ों वर्षों पहले के हैं उन्हें समझना और प्रयोग करना सरल नहीं है क्योंकि विवाह के सम्बन्ध में जो सूत्र लिखे...
ज्योतिष शास्त्र में अंशात्मक चार्ट
अंशात्मक ज्योतिष के सम्बन्ध में कुछ लिखने के पूर्व यह आवश्यक है कि पाठको को आरम्भिक ज्योतिष का ज्ञान संक्षेप में करा दिया जाय जिससे पुस्तक कि शेष सामग्री को समझने में सरलता हो I मनुष्य का जीवन ८४ लाख योनियो के बाद प्राप्त होता है I एक-एक क्षण अनमोल है I इसका उपयोग कर भगवत तत्व प्राप्त करना जीवन का उद्देश्य है I कर्म ही जीवन है I पृथ्वी लोक भोग - भूमि न होकर कर्म भूमि है I भारतीय दर्शन के अनुसार कर्म तीन प्रकार के है - १. संचित कर्म २. प्रारब्ध कर्म ३. क्रियामाण कर्म I वर्तमान तक किया गया कर्म संचित कहलाता है I यह एक प्रकार से बैंक में जमा राशि है I संचित से कुछ हितकर या अहितकर फल लेकर हम पैदा होते है जिसे प्रारब्ध कहा जाता है I वर्तमान जीवन में जो हम कर्म करते है वह क्रियामाण है I
यह पुस्तक इस बात को ध्यान से रखकर लिखी गयी है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ है अत: एक अध्याय प्राम्भिक ज्योतिष का दिया गया है I सप्तम बिन्दु को ध्यान में रखकर भगवान् अनन्त के आत्यनितक अनुग्रह से ज्योतिष शास्त्र के प्रेमी पाठको के सामने यह नूतन रचना प्रस्तुत करते हुए मेझे अपार हर्ष हो रहा है I इसमें वर्गीय कुण्डलियो का विश्लेषण किया गया है तथा अनेक उदाहरण देकर वास्तु को सरल ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है I
सभी द्वादश लग्न जातकों के गुण व दोष l सभी लग्नों की शक्ति व दुर्बलताएँ l द्वादश लग्नों के २४ होराफल l सूर्या व चद्र होरा में स्थित ग्रहों के १४ फल l लग्न...
भूमिका यदुपचितसन्यजन्मनि शुभाशुभं॑ तस्य कर्मणः प्राप्तिम । व्यज्ञयति शास्त्रमेतत्तमसि द्रव्याणि दीप इव ॥ फलित-ज्योतिष में षड्वर्ग-कुण्डलियों के फलादेश का स्थान बहुत ऊंचा है । इन कुण्डलियों से जातक के धन, भ्राता...