Ashtakavarg Mahanibandh (Hindi) by SC Mishra अष्टकवर्ग महानिबन्ध: ज्योतिष शास्त्र को वैदिक ज्ञान का नेत्र कहा गया है l इस कथन की प्रमाणिकता फलादेश की सत्यता एवं सटीकता पर आधारित...
ASHTAKAVARGA ( Phalit ki Adhunik Vidhiyan) (Hindi) अप्टकवर्ग भावों एवं ग्रहों के बलाबल के आंकलन करने की एक अद्वितीय पध्दति है और सटीक फलित करने में सही मार्गदर्शन का काम...
Ashtakavarga - Hindi
ज्योतिष शास्त्र में अष्टक वर्ग पद्धति का गौरवपूर्ण स्थान है I पलक झपकते ही इसके द्वारा जातक के स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, आध्यातिमक विकास,आजीविका तथा अन्य अच्छी - बुरी सम्भावनाओ क़ी सही जानकारी प्राप्त क़ी जा सकती है I अन्य किसी विधा में अष्टक वर्ग सरीखा अचूकता से गोचर ग्रह के प्रभाव का आकलन सम्भव ही नही I अष्टक वर्ग सारिणी पर दृष्टिपात करने से जातक की आजीविका क्षेत्र में सफलता व् सम्पन्नता तथा विभिन्न ग्रहो की दशा का फल सटीक व् प्रभावशाली ढंग से बताया जा सकता है I अष्टक वर्ग के आभाव में यह जान पाना असम्भव है की श्री गुलजारी लाल नन्दातथा श्री चरणसिंह इतनी अलप अवधि के लिए प्रधानमंत्री क्यों बने तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गाँधी का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल इतना लंबा क्यों चला I
भयप्रद साढ़े साती के परिणाम भी अष्टक वर्ग की सहायता से सहज व् सही ढंग से जाने जाते है I इसकी सहायता से पता लगता है की शनि के अष्टक वर्ग में अधिक विंदु पाने वाली राशि पर शनि का संचार दुःख व् हताशा नहीं देता अपितु धैर्य, उत्साह व् कार्य क्षमता बढ़ाता है I
इस विधा का प्रयोग मुहर्त विचार में भी किया जा सकता है I किस दिशा में सफलता व् सम्पन्नता मिलेगी, किस तरह की पत्नी शुभ व् सौभाग्यप्रद होगी आदि I चुनाव में परचा भरने , साक्षात्कार पर जाने, औषधि लेने या अंतरिक्ष यान छोड़ने का सही समय अष्टक वर्ग द्वारा सहज बनाया जा सकता है I मित्र सहयोगी के चयन में भी अष्टक वर्ग सहयोगी है I
१ अष्टकवर्ग जैसे दुरूह एवं शुष्क विषय पर पहली बार एक दिलचस्प पुस्तक l २ अष्टकवर्ग का गणित एक उदहारण कुंडली द्वारा दर्शाया गया है l ३ सर्वाष्टकवर्ग के नियम विभिन्न कुंडलियों...
| अधष्टावक्र गीता राजा जनक और अष्टावक्र सम्वाद मूल संस्कृत श्लोक, हिन्दी अनुवाद और व्याख्या सहित अष्टावक्र एक ऐसे बुद्ध पुरुष थे जिनका नाम आध्यात्मिक जगत् में बड़े सम्मान से लिया जाता...
एस्ट्रो पामिस्ट्री ज्योतिष जगत का सर्वथा अछूता विषय है I जन्म-पत्र द्वारा, ग्रह नक्षत्रों की स्थिति और गति के आधार पर भविष्य - कथन के प्रणाली को ' ज्योतिष संज्ञा दी गई है I इसे अंग्रेजो में 'एस्ट्रोलॉजी' कहते है I हस्त रेखाओं के अध्ययन द्वारा फल कथन की विधा को अंग्रेजी में 'पामिस्ट्री' कहते है I प्रस्तुत पुस्तक 'एस्ट्रो पामिस्ट्री के महत्वपूर्ण सूत्र' में सुविज्ञ लेखक डॉ. भोजराज द्वेदी ने एस्ट्रोलॉजी और पामिस्ट्री का एकीकरण किया है I इस दृष्टि से पुस्तक अपने आप में सर्वथा मौलिक और अद्वितीय रचना है I हाथ देखकर जन्म-कुण्डली बना देने की बात सुनने में तो आई है; किन्तु इस रचना से ऐसी कोई कृति देखने में नहीं आई जिसमे इस चमत्कार का सम्यक विधि बताई गई हो I प्रस्तुत रचना में लेखक ने हथेली पर बारह राशियों के स्थान निर्धारित किये है I नौ ग्रह के चिन्ह बताए है I राशियों में ग्रहों की स्थिति के साथ-साथ रेखा,वर्ग, यव, जाली, आयत, वर्ग आदि के द्वारा, तालमेल द्वारा ग्रहों की उच्च नीच स्थिति युति, बलाबल आदि को स्प्ष्ट करके शुभाशुभ फल बतया है I इस ग्रन्थ की सबसे बड़ी विशेषता यह है की खोटे- ग्रहों के जप-दान...
The Message of This Book The great poet Surdas has expressed sublime thoughts and talked of the inefficacy of all remedies except surrender unto HIM. There are cases when neither...