द सन् १६४८ ई. से १६७८ ई. की काल सीमा के अन्तर्गत योग-तंत्र .. से संबंधित अपनी आध्यात्मिक पिपासा को शान्त करने के उददेश्य से जिन प्रच्छन्न और अप्रच्छन्न सिद्ध साधकों, महात्माओं और योगियों से मेरा सत्संग लाभ हुआ और सत्संग के क्रम में जो गुह्य ज्ञान उपलब्ध हुआ जो अलौकिक अनुभव हुए और साथ ही जो अवर्णनीय परानुभूति हुई मुझे | निश्चय ही वह अतिमहत्वपूर्ण आध्यात्मिक सम्पत्ति समझी जायेगी इसमें सन्देह नहीं | उन्ही सबका परिणाम है 'कारण पात्र' |
आरतीय आध्यात्म का मुख्य विषय है योग और तंत्र | इस विश्व भ्रमांड में में दो सत्ताएं है - आत्मपरक सत्ता और वस्तुपरक सत्ता | पहली आतंरिक है और दूसरी सत्ता बाह्य हैं। आत्मपरक सत्ता का संबंध अंतर्जगत से है और जिसका विषय है आत्मा|| इसी प्रकार वस्तुपरक सत्ता का संबंध है बहिर्जगत से यानी भौतिक जगत से और जिसका विषय है मन | आत्मा और मन | दो सत्ताओं की तरह इस विश्व ब्रह्माण्ड में एक मूल तत्त्व भी है जिसे आध्यात्मिक भाषा में परमतत्व भी कहते हैं। और उस परमतत्व के दो रूप हैं - आत्मा और मन | लेकिन दोनों का स्वभाव भिन्न- भिन्न है आत्मा स्थिर है | स्थिरता और साक्षी भाव उसका गुण जबकि मन है अस्थिर | अस्थिरता और चंचलता उसका गुण है|
In a world of high unemployment with an economy that needs new jobs to recover, who isn't hungry for a solution, something that brings about recovery fast? Many look to...
Kalitantram Rudrachanditantram - Hindi
कालीतन्त्रम् दशमहाविधानतगर्त भगवती काली की आराधना का एक प्रमाणिक ग्रन्थ है i कलि में काली तथा विनायक को ही तांत्रिक दृष्टि से विशेष फलदायक माना गया है i अखण्ड काल से उन्मिषित कलनात्मिका शक्ति ही काली है i अतएव काल के अन्तर्गत काल के शासन में रहने वाले सचेतन वर्ग मात्र पर भगवती काली का अधिपत्य है i इस दृष्टि से कालितन्त्र में भगवती की यथार्थ उपासना का रूप प्रस्तुत किया गया है i
कल्पवृक्ष संस्थान के ज्योतिषीय सदस्यों से जो भी कोई भविष्य कथन पूछने आया तो उनोहने उन्हे गत तीस-चालीस वर्षो में संस्कृत के स्रोत्र पाठ तथा तुलसीदास जी के हनुमान चालीसा...
Kalsarpyog Shanti aur Ghat Vivah Par Shodhkarya [Hindi] by Bhojraj Dwivedi Publisher: Diamond Books कालसर्पयोग शान्ति एवं घट - विवाह पर शोध कार्य सर्पो से मैत्री स्थापित करना, उनकी पूजा से...
कामाख्या सिद्धि और कामाख्या तन्त्र आजकल भारत के बहुत से नगरों में और विदेशो में भी तन्त्र शास्त्र के प्रति लोगो की रूचि बढ़ चली है जिसके कारण बहुतेरे चतुर...