कुण्डली पर विचार करने की विधि नामक यह पुस्तक ज्योतिष के व्यावहारिक और अनुप्रयुक्ति पर है। इस पुस्तक को जनसाधारण द्वारा पसन्द किया गया है। इस पुस्तक के दो खण्डों में जन्म...
कुण्डली पर विचार करने की विधि नामक यह पुस्तक ज्योतिष के व्यावहारिक और अनुप्रयुक्ति पर है। इस पुस्तक को जनसाधारण द्वारा पसन्द किया गया है। इस पुस्तक के दो खण्डों में जन्म...
Jatak Sardeep by SC Mishra ग्रंथ परिचय..... त्रिस्कन्ध ज्योतिष के विशेषज्ञ श्री नृसिंहदैवज्ञ रचित यह ग्रन्थ पन्द्रहवीं सदी में दक्षिण भारत में लिखा गया था। मूल संस्कृत श्लोक सहित पहली...
जातक सारावली- नवम भाव आकाशीय पिण्डों के अध्ययन एवं ज्योतिष शास्त्र के शोध सिद्धांतों से आलोकित व्यवसाय पक्ष का प्रज्वलित प्रकाश पुंज है। व्यवसाय और कर्म के अधिष्ठाता महाप्रभु की परमपावन...
Jatak Sarawali Ashtam Bhav [Hindi] By Mridula Trivedi, TP Trivedi Publisher: Alpha Publications (8th House) का विश्लेषण अत्यंत महत्वपूर्ण और गहन होता है, क्योंकि अष्टम भाव को जीवन और मृत्यु, आयु,...
Jataka Parijata (2 Volume Set) - Hindi by SC Mishra Books ग्रन्थ-परिचय प्रस्तुत ग्रन्थ जातक परिजात श्री वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा रचित ज्योतिष - साहित्य के नव रत्नों में से एक हैl १८...
जातकालंकार
फलितज्योतिष का विकास पुराणों में उध्दत व्यास - वशिष्ठ - नारदादि दैवज्ञों के वचनो के आधार पर ही हुआ है I प्रस्तुत ग्रन्थ "जातकालंकार " श्रीमदभागतोक्त जो जातक सम्बन्धी फल है उन्ही के आधार पर निर्मित है l इस विषय में ग्रंथकार की भी स्पष्टोक्ति है I यह ग्रन्थ सात अध्यायों में है जिसमे छ: अध्याय ज्योतिष सम्बन्धि और सातवाँ वंश वर्णन का है I इन सातो अध्यायों में श्लोको की संख्या क्रमश : ११-३७-३३-३-२२-८ और ४ है I इन सब का योग ११८ होता है जबकि ग्रंथकार ने छठे अध्याय में ११० श्लोक ही बताया है I संभवत: ग्रन्थ में जो ज्योतिष सम्बन्धि श्लोक नहीं है, उनको ग्रंथकार ने गणना में नहीं लिया है I ग्रन्थ के अंतर्गत आने
जातकालंकार जातकालंकार वास्तव में ही जातक शाखा का अलंकार भुत ग्रन्थ है l प्राचीन शुकसुत्रो का अर्थपल्ल्वन श्लोकबद्ध रीति से करके गणेश कवी ने सरस् शैली में जातकालंकार की रचना...