प्राच्य चिकित्सा पद्धति में उपचार व्यक्ति का होता है रोग का नहीं प्राच्य चिक्रित्सा पद्धति में ऐसी अंतर्दृष्टि विकसित किये जाने का महत्व जिससे अतीत के स्वरूपों को वर्तमान और भावी लक्षणों...
गुढार्थहोरा – सिद्धांत
ज्योतिष के तीन अंगो में से एक ज्योतिष शास्त्र है I सामान्य जनों के उपयोग एवं समझने के लिए यह तीन अंगो में सबसे अधिक प्रचलित है I कुंण्डली निर्माण यधपि सिद्धांत अर्थार्त गणितखंड में आता है, लेकिन उनके द्वारा जातक के जीवन में होने वाली अथवा हो चुकी घटनाओ के सम्बन्ध में जातकशास्त्र के द्वारा ही जाना जाता है I होराशास्त्र का अध्ययन करने के लिए तथा उससे भविष्य कथन करने के लिए कुछ नियमो का अत्यंत ज्ञान होना बहुत जरूरी है I
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रथम भाग में ज्योतिष फलकथन - संबंधी नियमो को ही स्पष्ट किया गया है I श्लोको के जो वास्तविक अर्थ होने चाहिए, उन्हे बताया गया है तथा उन्हे तर्क तथा उद्दरणों की सहायता से प्रतिपादित किया गया है I फलकथन करने में जो अनेको त्रुटियाँ तथा भ्रांतियाँ दैवग्यो में फैली हुई है, उन्हे स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है I अनेको मुलभुत प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है I
जन्मकुण्डली से फलकथन के नियमो को स्पष्ट करने तथा उन्हे संकलित करने का ही कार्य इस ग्रन्थ में मुख्य रूप से किया गया है I फलकथन करने के अनेको नियम भिन्न -भिन्न ग्रंथो में रत्नों के भांति बिखरे पड़े है I उन्हे संकलित करके उनके वास्तविक गूढ अर्थो के साथ तरतीब से विषयसामग्री की आवश्यकता के अनुसार निबद्ध किया गया है
जीवन की पूर्णता मन्त्रों के माध्यम से ही सम्भव है। आने वाले समय की दुर्घटनाएं, संकट, बाधाएं और कठिनाइयां दूर करने का एकमात्र उपाय है मन्त्र, जिसके द्वारा जीवन के कांटों...
गोरख तन्त्र गुरु गोरखनाथ का तन्त्र - मन्त्र के क्षेत्र में अपना एक अतिविशिष्ट स्थान है l वह पूर्वी भारत के यशस्वी ही नहीं वरन चमत्कारिक तांत्रिक भी थे l...
Gorakh Vani Aur Gorakh Yog गोरख वाणी और गोरख योग गुरु गोरखनाथ जी की परम्परा में अनेकानेक ग्रंथो का निर्माण हुआ है जो उनकी महानता का अवलोकन करवाते है l...