भृगु संहिता (फलित दर्पण ) कुंडली मारकर बैठा हुआ सर्प देखने में कितना निष्क्रिय लगता है जबकि असल में, उस समय वह सारी सक्रियता को अपने में समेटे रहता है...
Bhrigu Sanhita [Hindi] by Radhakrishan Shrimali Publisher: Diamond Books भृगु संहिता ज्योतिष की अनेक शाखा - प्रशाखाओं में गणित और फलित का महत्वपूर्ण स्थान है I फलित के माध्यम से जीवन...
भुवन दीपक प्रश्न का फल विचार करने हेतु प्राथमिक जानकारी प्रत्येक भाव से विचारणीय प्रश्न प्रश्नकालीन लग्न एवं चन्द्रमा के महत्व का निरूपण लग्नेश और कार्येश के सम्बन्ध से कार्य...
बॉडी लैंग्वेज ( हाव -भाव से समझे मन क़ी बाते)
लोग जो कुछ कहते है, वह अक्सर वैसा नहीं होता, जैसा वे सोचते और महसूस कर रहे होते है I लेकिन आप इस पुस्तक बॉडी लैंग्वेज क़ी मदद से दुसरो के हाव -भाव को देखकर उनकी मन क़ी बाते पढ़ना सीख सकते है I हालांकि यह असम्भव सा लगता है, लेकिन किसी व्यक्ति क़ी बॉडी लैंग्वेज को समझना बहुत आसान होता है और इसका प्रयोग करना आनंददायक भी है I इस पुस्तक के लेखक एलन पीज अशाब्दिक संप्रेशण के अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ है और अब तक पाँच लाख से भी अधिक लोगो को बॉडी लैंग्वेज समझने के गुर सीखा चुके है I
यह पुस्तक आपको सिखायेगी कि :
१ किसी के झूठ को कैसे पकड़ा जाये
२ खुद को लोगो को चहेता कैसे बनाया जाये
३ दूसरों से सहयोग कैसे प्राप्त किया जाये
४ साक्षात्कार और व्यवसायिक चर्चाओं में सफलता कैसे प्राप्त क़ी जाये
५ अपने लिए सही साथी कैसे ढूंढा जाये
ब्रह्मसूत्र -वेदान्त दर्शन भगवान् श्री वेदव्यास ने इस ग्रन्थ में परब्रह्म के स्वरूप का सांगोपांग निरूपण किया है, इसलिए इसका नाम ब्रह्मसूत्र है तथा वेद के सर्वोपरि सिद्धान्तों का निदर्शन कराने...
Brahmanda Mahapralaya Paravidya Brahmanda: Refers to the "cosmic egg" or the universe. In Hindu cosmology, the universe is often visualized as a giant egg containing all of existence, governed by...
Bramahgyan Ka Yatharth भारत की प्राचीन मान्यताओं को जानने समझने के लिए यह पुस्तक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है I जिससे अलौकिक समझे जाने वाले विषयों के रहस्य प्रकट होने...
त्रिस्कन्धात्मक ज्योतिष शास्त्र में होरास्कन्ध के अंतर्गत जातक, ताजिक तथा प्रश्न - ये तीनो समाविष्ट हैं l जातक के दो भेद हैं - पुरुष जातक तथा स्त्रीजातक l जहाँ तक जातक के फल कथन की बात है तो सामान्य रूप से फल , पुरुष एवं स्त्रियों के लिए एक जैसा ही होता है; किन्तु नारी की स्थिति प्राकृतिक एवं सामाजिक दृष्टि से कुछ अतिविशिष्ट भी है, जिसके कारण स्त्रियों की जन्मकुंडली के फलकथन - हेतु स्वतंत्र ग्रंथों का प्रणयन भी प्राचीन काल से होता आ रहा है l यही कारण है कि जन्मपत्रिका - निर्माण करने वाले ज्योतिषी फलकथन हेतु स्त्रीजातक विषय पर किसी स्वतंत्र ग्रन्थ की आवश्यकता का अनुभव करते हैं l प्राचीन काल में स्त्रीजातक विषय से संबंद्ध जो ग्रन्थ थे, वे इस्लामी आक्रांताओं द्वारा अन्य संस्कृत वाङ्गमय के साथ ही नष्ट कर दिए गए थे l उनमे से आज केवल यवनाचार्य - विरचित स्त्रीजातक मात्र ही उपलब्ध है l