भाव दीपिका जन्मकुण्डली में नवग्रहों के द्वादश भावगत फल द्वादश भाव सम्बन्धी व्यावहारिक अनुभवसिद्ध योग लग्नेश तथा अन्य भावेशों की विभिन्न भावो में स्थिति तथा उनके परस्पर सम्बन्ध से जीवन...
BHRIGU SUTRAM Just as celestial bodies represent the almighty so does a sage in many ways Bhrigu Rishi with his divine insight, not fruitfully possessed by an ordinary mortal, created...
मुम्बई के प्रसिद्ध विद्वान श्री एन .एन .कृष्ण राव ने दक्षिण भारतीय ज्योतिष के अनेक प्राचीन ग्रंथों का संग्रह किया l उनका कुशल सम्पादन व अंग्रेजी अनुवाद तथा प्रकाशन भी...
LEARN ASTROLOGY (THE EASY WAY) The lessons given in this book in simple and understandable language bring the knowledge of Astrology within easy grasp of the reader. It meets a...
नक्षत्र फल दर्पण
भविष्यवाणी करने में जिन साधनो की आवश्यकता होती है उनमे नक्षत्र अपना विशिष्ट स्थान रखते है i भारतीय पद्धति में तो गणना का आरम्भ ही नक्षत्रो से होता है I इसीलिए भारतीय पद्धति नाक्षत्रिक पद्धति है I इसी पद्धति की उत्तकृष्टता, श्रेष्ठता एवं उपयोगिता पर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है I
नक्षत्रो के कारकत्व के सम्बन्ध में उनका दशा में प्रयोग कैसे होता है ? उनसे गोचर में फल कैसे कहा जाता है और उनका जन्म कुंण्डली में क्या महत्व है ? वे हमारी दशा पद्धति के कैसे मूल स्तम्भ है ? इत्यादि सभी उपयोगी विषयो का उल्लेख इस पुस्तक में है I
ग्रहो की उच्चता और नक्षत्र पाठको के विशेष देखने योग्य अध्याय है जिनके द्वारा भारतीय ज्योतिष की मौलिकता, उनका भारत में जन्म, उनका आध्यात्मिक आधार आदि बहुत सी बाते ज्योतिष जगत के सामने पहली बार लाई गई है I
इस ग्रन्थ में जातक विषयों पर एक नये दृष्टिकोण का साक्षात्कार होता है जो अन्य ग्रंथो से थोड़ा भिन्न है l मन्त्रेश्वर के गोचर फल कथन अतयन्त तर्कपूर्ण और तथ्यात्मक...