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धुरन्धर ज्योतिषी अर्थार्त भाव प्रभाकर
ज्योतिर्विधा के वास्तविक चमत्कार का महत्व हर किसी की समझ में नहीं आता, अतएव एक ऐसे ग्रन्थ के संकलन की परमावश्यकता थी कि जिसकी भाषा सरल, सुबोध और सुगम हो और जिसके लिखने का ढंग ऐसा सीधा - सादा हो कि साधारण बुद्धिवाला मनुष्य ज्योतिर्विधा के महत्व को सरलता से हृदयगम कर सके l इसी उद्देश्य को दृष्टि में रखकर मैंने इस ग्रन्थ को संग्रह करने का प्रयास किया है l इस ग्रन्थ के संकलन में जहाँ बहुत से संस्कृत के प्रकाशित ग्रंथो का सहारा लिया गया है वहाँ ज्योतिर्विधा सम्बन्धी कई अप्राप्य और अप्रकाशित हस्तलिखित संस्कृत ग्रंथो की सहायता भी ली गई है l इस ग्रन्थ को सरल और सुबोध तथा उपादेय बनाने में ज्योतिर्विधा के धुरन्धर पंडितो का साहाय्य प्राप्त करने में अतुल धनराशि और समय व्यय करना पड़ा है l ग्रन्थ जितना महत्वपूर्ण है उसे उतना ही अधिक उपादेय बनाने की चेष्टा की गई है l शन की अन्य कृतियों की तरह पाठक 'ज्योतिष कौमुदी के इस प्रथम खंड से भी लाभान्वित होंगे, ऐसा विश्वास है i
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
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10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |