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व्यापार रत्न
प्राचीन सहिंताए एवं अर्धकांड -सम्बन्धी सभी उपलब्ध ग्रन्थ-रूपी रत्नाकर (समुद्र) का मंथन करके यह अन्वर्थ नाम 'व्यापार रत्न ' ग्रन्थ सरल सुबोध भाषा में लिखा गया है I इसमें सामान्य हिन्दी पढ़ा -लिखा व्यक्ति भी सरल रीती से व्यापार द्वारा लाभ उठा सके ऐसी विषियों का वर्णन किया गया है I
इस ग्रन्थ के सम्पादन में अर्धकांड विज्ञानं के मर्मग वयोवृद्ध विद्वान् श्रेद्धेय श्री पंड्या मोतीलाल जी नागर अर्धकांड -वाचस्पति महोदय का पूर्णरूपेण सतपरामर्श प्राप्त होता रहा और आप के मुद्रित एवं लिखित ग्रंथो से भी प्रयाप्त सामग्री प्राप्त हुई, एतवर्थ हम भी पांड्या जी के विशेष रूपेण आभारी है I