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तंत्र द्वारा मनोकामना सिद्धि
जिस प्रकार राडार द्वारा एक स्थान पर बैठे - बैठे ही निर्धारित दूरस्थ स्थान पर अस्त्र चालाया जाता है और वह वहाँ जाकर लक्ष्य वस्तु को क्षति पहुँचाता है, उसी प्रकार कृत्या, घात, मारण आदि के तांत्रिक प्रयोग द्वारा मनुष्य को प्रभावित किया जाता है I तंत्र द्वारा आगे से व् पीछे से दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है I जैसे गुड़ खाने में पौष्टिक है लेकिन शराब बनाने में भी प्रयोग किया जाता है I ऐसे ही तांत्रिक भी सतोगुणी, धर्मपूर्ण एवं कल्याण का कार्य करते है तथा दू:साहसपूर्ण अनैतिक और चमत्कारी काम भी करते है I
तंत्र शास्त्र एक प्रकार से मंत्रो की शल्य चिकित्सा पद्धति है जिसके माध्यम से मनोकामना सिद्धि करने में देर नहीं लगती I समाज की भलाई हेतु इसका प्रयोग करना सबको लाभ दे सकता है, लेकिन दुरूपयोग करने वाले को परिणाम भोगना पड़ता है I