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सिद्ध मन्त्र संग्रह
मन्त्र - जप का उद्देश्य अपनी चेतना के प्रवाह को निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर ले जाना है l वाचिक अथवा मानसिक जाप व्यक्ति को दूरानुभूति के स्तर पर ले जाता है l मन्त्र आत्म - साक्षात्कार का एक सर्व - सुलभ, सरल साधन है l मंत्रो का अपना एक विज्ञानं है, वह विज्ञानं सम्मत भी है l आवश्यकता है, उस विज्ञानं के सिद्धान्तों को समझने और आत्मसात करने की l
आचार्य अशोक सहजानंद एक मूक साधक है l उन्होंने न केवल जैन मन्त्र- विज्ञानं का वर्ण वैदिक, तांत्रिक, बौद्ध, शाबर, इस्लामी मंत्रो का भी अध्ययन किया है l उनके इस गहन अध्ययन का फल है, प्रस्तुति कृति ' सिद्ध मन्त्र संग्रह ' l यह विद्वतापूर्ण कृति बेहद सरल भाषा -शैली में पाठक को मन्त्र - विज्ञानं की समूची अवधारणा से परिचित कराती है l मंत्रो के मूल में है ध्वनि जो वर्ण में व्यक्त होती है l वर्णो को न केवल वैदिक एवं तांत्रिक शास्त्र में वरन जैन एवं बौद्ध तंत्र में भी मातृका वर्ण कहा गया है l इन्हे बीजाक्षर भी कहा जाता है l