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Shiv Ne Parvati se Kaha - Dhyan Vidhiyan 1 -38 [Hindi]

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Shiv Ne Parvati se Kaha - Dhyan Vidhiyan 1 -38 [Hindi] by Osho Priya

Publisher: Oshodhara

शिव ने  पार्वती से  कहा  (ध्यान विधिया 1-३८ )

दुनिया में सहस्त्रो धर्म ग्रन्थ है, लेकिन विज्ञानं भैरव तंत्र ' अद्वितीय है क्योकि इसमें गुरु अपने शिष्य से बात कर रहे है I विज्ञानं भैरव तंत्र एकमात्र ऐसा शास्त्र है जिसमे सवाल पूछा है शिष्य ने, न केवल शिष्या ने, बल्कि प्रेमिका ने I देवी पार्वती शिव की प्रेयसी है I एक प्रेयसी को दिया गया उत्तर है यह 'विज्ञानं भैरव तंत्र’ I

कोई अन्य शास्त्र स्त्रियों के लिए नहीं है, विज्ञानं भैरव तंत्र एक स्त्री के लिए दिया गया उपदेश है और स्त्रियां जीती है ह्रदय के तल पर, भाव के तल पर, प्रेम के तल पर I पार्वती ने कोई दार्शनिक सवाल नहीं पूछा है I बड़ा व्यक्तिगत सवाल पूछा है कि हे प्रभु ! आप कौन है,आपका सत्य क्या है, यह रहस्य मुझे बताने की कृपा करें I

ओशो कहते है -अगर दुनिया के सारे शास्त्र नष्ट हो जाए  और केवल 'विज्ञानं भैरव तंत्र' बच जाए तो भी धर्म का पूरा सारसूत्र बच जाएगा I इन चार- पाँच पृष्ठों में वह  सब समाया हुआ है, जो आज तक मनुष्य जाती ने भीतर के रहस्यो में डूबने के लिए खोजा है I अंतस के रहस्यो को जानने की विधिया इस शास्त्र में छिपी है I शिव की ये विधिया सिर्फ उनके लिए है जो कुछ करने को तैयार है I

यह लघु -पुस्तिका बड़ी अद्भुत है I देवी पार्वती भगवान शिव की गोद में लेटी हुई है और उनसे सवाल पूछकर कहती है - 'हे प्रभु! मेरे संशय निर्मल करे' I

भगवान शिव जी उत्तर देते है, उन्हे सुनकर ऐसा लगेगा कि इन प्रश्नों से उन्हे कुछ लेना- देना ही नहीं I शिव ११२ विधियों की बात शुरू कर देते है,वही तंत्र का अर्थ है I तंत्र यानी विधि, मेथड, टेक्नीक I सद्गुरु ओशो कहते है कि ध्यान में जितनी विधिया संभव हो सकती है वे सारी इन ११२ विधियों में आ गई I यह ग्रन्थ अपने आप में  ध्यान का सम्पूर्ण शास्त्र है I 

ओशो सिद्धार्थ -एक सद्गुरु की जीवन यात्रा

हम सभी बचपन से ही राम और कृष्ण के अवतरण की कथाए सुनते आए है I इन कथाओं में अवतारों के माता-पिता ऐसे भक्त थे, जिन्होंने अपने प्रभु को, अपने प्रभु से ही पुत्र के रूप में पाने की कामना कर दी थी I भक्तवत्सल परमात्मा क्या कभी ना कर सकता है ? ऐसे ही परमभक्त माता-पिता के जन्म -जन्मान्तरों का पूण्य उदित होता है, जब उनके घर किसी महान चेतना का जन्म होता है I 

बिहार प्रान्त की पावन मिटटी में बुद्ध, महावीर, दरिया के रूप में प्रभु का अवतरण हुआ I इस मिटटी ने राम के पदकमल चूमे थे I यह पावन धरती पुनः अपने प्रभु के आगमन के लिए प्रतीक्षा में रत थी माँ देशरानी और पिता पृथ्वीनाथ सिंह I बचपन से ही माता देशरानी एक प्यारा भजन गाती, " शवरी घर होवई सगुनवा, आज घर राम अयहै ना I "

..और उनके घर सचमुच ही राम आ गए, उन्ही के पुत्र बनकर, वीरेन्द्र कुमार सिंह के रूप में, जो आगे चलकर बने - ओशो सिद्धार्थ I

सद्गुरु ओशो सिद्धार्थ जी का अवतरण दिनांक २३ सितंबर १९४२ को बिहार प्रान्त के आरा जनपद (वर्तमान में रोहतास जिला ) के कर्मा ग्राम में हुआ I पिता पृथ्वीनाथ सिंह एवं माता देशरानी जी के घर राम ने पुनः जन्म लिया I  

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