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पंच सिद्धान्त
१. ग्रहशील (ग्रहो का स्वरूप व् स्वभाव)
२. ग्रह कारकत्व विचार (ग्रह अवयव रोग, लौकिक सम्बन्ध, व्यवसाय आदि )
३. नक्षत्र सिद्धान्त (ग्रहो पर नक्षत्रो का प्रभाव )
४. वर्गोत्तम सिद्धान्त (ग्रह अवस्था,बल और शुभता का विचार )
५. आधिपत्य सिद्धान्त (भावेश की भावस्थिति का दशा फल) इसके साथ राशि शील, और नाभस योगों को भी जोड़ा गया है I
सौ से अधिक कुँडलिया फलादेश के नियम समझने में सहायक होगी ऐसा विशवास है I
यह पुस्तक फलकथन की दक्षता बढ़ाकर ज्योतिष प्रेमियों को धन, मान और सुयश दिलाएगी ऐसा विशवास हैं I