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शक्ति हमेशा पूज्य है । शक्ति का ही एक रूप है यक्षिणी । ब्रह्माण्ड में अनेकों लोक हैं, सबसे निकट का लोक यक्ष और यक्षिणियों का है। पृथ्वी के निकट होने के कारण मन्त्र तरंगे इस लोक में शीघ्र पहुँचती हैं । साधक यदि विधि-विधान से साधना करे तो मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है । यक्षिणी साधना सात्विक और सुरक्षित है। सिद्ध होने पर यक्षिणी साधक को मार्गदर्शन प्रदान करती है ।
आप सभी ने ६४ योगिनियों के विषय में अवश्य पढ़ा होगा | ये सभी तन्त्र एवं योग से घनिष्ट सम्बन्ध रखती हैं। सभी ६४ योगिनियां समस्त अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न हैं। इनकी साधना से वशीकरण, मारण, स्तम्भन आदि कर्म सरलता से सम्पन्न हो जाते हैं। सभी ६४ योगिनियों के मन्त्र, जप विधि, यन्त्र एवं विशिष्ट रहस्य इस पुस्तक में दिये गये हैं ।