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रसरत्नाकर 'रस- रसायन खण्ड'
रसरत्नाकर ' ग्रन्थ श्री नित्यनाथ सिद्ध विरचित एक महान ग्रन्थ है जो समुद्र की भांति विशाल और गंभीर है l बारहवीं शताब्दी का यह ग्रन्थ वडीखंड, रसखण्ड, रसायनखंड, रसेन्द्रखण्ड एवं मन्त्रखण्ड में रसशास्त्र के सम्पूर्ण विषय को अपने में समेटे हुए है l
'रस -रसायनखंड' अपर नाम 'कायाकल्पखण्ड' - जैसा कि नाम से ही विदित है रस -रसायनखंड में विविध रस - रसायनों का निर्माण एवं प्रयोग कायाकल्प के दृष्टिकोण से किया है l कायाकल्प प्रशस्त रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि , मज्जा, शुक्र आदि धातुओं एवं स्थिरचित्त की प्राप्ति द्वारा ही संभव है l उक्त भाग के प्रथम विभाग रसखण्ड के प्रथम उपदेश में - पारदमहात्मय, द्वितीय उपदेश में - पारद के शोधन मारण भस्मादि विधि, तृतीय उपदेश में - पारद के जारणपूर्वक पारद मारण एवं भस्मीकरण, चतुर्थ उपदेश में - पारदमूर्च्छन, बंधन, पंचम उपदेश में -उपरस व् वज्र वैक्रान्त आदि का शोधन - मारण एवं उपयोग, षष्ठम उपदेश में - अभ्रक - शोधन, भस्मीकरण, अमृतीकरण एवं उपयोग, सप्तम उपदेश में -हरताल, मैनशिला, खर्पर, तृतीया, विमला, स्वर्णमाक्षिक, रत्न - मारण, शंख, नीलांजन, शिलाजतु, सिंगरफ का शोधन, उपरसो का सत्वपातन, अष्टम एवं नवम उपदेश में - धातुओं का शोधन -मारण - भस्मीकरण एवं उपयोग, दशम उपदेश में - विविध तेलपातन एवं विषों - उपविषों, गुग्गुलु आदि का शोधन एवं उपयोग का विवरण किया गया है l
प्रस्तुत ग्रन्थ इतना विशाल एवं गुह्य तथा द्वियर्थी शब्दों से युक्त है, जिसका ज्ञान मेरे जैसे समान्य बुद्धि वालो के लिए दुष्कर है l सही अर्थ तो कोई तत्वज्ञ ही जान सकता है l
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2kg | ₹130 |
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3kg | ₹170 |
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10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |