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फलित सूत्रम
ज्योतिष - जगत में नित नव - शोध के लिए प्रख्यात ज्योतिर्विन्द आचार्य श्री पवन चन्द्रा की एक और प्रस्तुति l आप ज्योतिष के छात्र है अथवा एक व्यवसायी ज्योतिर्विन्द ......... दोनों ही के लिए एक समान उपयोगी ग्रन्थ जिसके अध्ययन मनन तथा व्यवहारिक प्रयोग पश्चात, फलित ज्योतिष के प्रति आपके सारे संशय, समस्त हिचकिचाहट स्वत्: सिमट कर रह जाएगी l इस पुस्तक में दी गयी सरल विधि आपके आत्मविश्वास को नए आयाम प्रदान करेगी l
१. क्यों विशोत्तरी दशा सर्वोपरि है तथा इसकी उतपत्ति का गणितीय सिद्धांत
२. कृष्णमूर्ति पद्धति की विसंगतिया
३. वैदिक ग्रंथमाला से हुई के.पी. पद्धति अथवा
४. मात्र एक सूत्र के प्रयोग से महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर, सूक्ष्म,ब्रह्मदशा ज्ञात करे क्रमश: उसी सूत्र से "नक्षत्रांश' उपनक्षत्रांश', उप -उप नक्षत्रांश, आदि अनन्त संख्या तक नक्षत्रांश ज्ञात करे
५. सतयुग, कलयुग आदि युग व्यवस्था वस्तुत: ज्योतिष सूत्रावली का सार है l घटी -पल से लेकर दशा - अन्तर्दशा आदि समस्त सूत्रों की उत्पत्ति इस व्याख्या में समाहित है -
६ . कैसे सूर्य और चंद्र से समस्त सूत्रों की उतपत्ति हुई ....
७. चन्द्रमा की राशि- स्थिति से विशोत्तरी दशा का कोई सम्बन्ध नहीं - मात्र एक नक्षत्र विस्तार से दशा - पद्धति का उदभव हुआ
क्रमश: अनेको सूत्रों की पृष्ठभूमि की गाथा समेटे हुए - एक ऐतिहासिक पुस्तक जो ज्योतिष जगत में एक नए अध्याय का सूत्रपात करने की क्षमता रखती है l
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |