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Paras Naam Amol Hai - Sant Mat 2 [Hindi] by
Publisher: Limass Foundation
पारस नाम अमोल है संत मत - २
पारस पत्थर के विषय में कहा जाता है कि लोहा अगर पारस से छुआ दो, तो लोहा कंचन बन जाता है I ऐसे ही अपनी जिंदगी को अगर तुम ओंकार से स्पर्शित करा दो, तो तुम्हारी जिन्दगी धन्य हो जाती है I जिसको भी नाम का धन मिल जाता है, वही धनी हो जाता है I लाखो लोग ऐसे ही धनी हुए है मानवता के इतिहास में I
धन और धन में बड़ा फर्क है I एक धन पा लेते हो तो परमहंस हो जाते हो जैसे कि कबीर, जैसे कि सहजो, जैसे कि मीरा और दूसरा धन मिल जाए तो पागल हो जाते हो, जैसे संसार के लोग पागल हो जाते है I लेकिन सहजो या अन्य संत जिस धन की बात कर रहे है, वह अगर मिल जाए तो परमहंस हो जाते हो, वह धन है - ओंकार का धन , नाम का धन, शब्द का धन, प्रणव का धन, उद्गीथ का धन I अमूल्य है वो धन I संसार का कोई धन तुम मूल्य से खरीद सकते हो, लेकिन यह नाम का धन अमोल है I यह सद्गुरु से मिलता है I यह सद्गुरु को रिझा कर मिलता है I बस यही एक पूंजी उपार्जन के लायक है I यही तुम्हारे साथ मृत्यु के बाद भी जाती है I
साधको के लिए इन प्रवचनों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है I सद्गुरु ने स्वयं इनका संपादन एवं संशोधन किया है I