नक्षत्रों पर आधारित भविष्यवाणी का उद्गम वैदिक काल में हुआ था, तब इसे " वेदांत ज्योतिष" कहते थे I नक्षत्र शब्द संस्कृत से उतपन्न हुआ है एक विचार के अनुसार इसका अर्थ (नक्ष = प्रवेश ) + ( त्र = रक्षा करने वाला ) है I अत: कुल मिलाकर प्रत्येक नक्षत्र २८ देवताओ में से प्रत्येक का घर अथवा निवास होता है, जो नक्षत्रीय तथा सौर विकास की रक्षा तथा संचालन करते है I
नक्षत्रों पर आधारित भविष्यवाणी का मुख्य आधार जन्म - नक्षत्र अथार्त जन्म के समय एक विशेष नक्षत्र में चन्द्रमा की स्थिति है I प्रस्तुत पुस्तक के आगे अध्ययन से पूर्व निम्नलिखित जानकारी/ आंकड़े उपलब्ध होना आवश्यक है-
१. जिस वर्षे में जातक का जन्म हुआ है उस वर्ष का ज्योतिष पंचांग I
२. जन्म स्थान के अक्षांश तथा रेखांश का निर्धारण करना I
३. जातक के जन्म का ठीक समय, दिन, मास तथा वर्ष का निर्धारण यदि जन्म समय किसी देश के निर्धारित समय के अनुसार है तो अक्षांश के आधार पर जन्म का स्थानीय समय भी जानना आवयश्क है I स्थानीय समय निकालने का सूत्र इस प्रकार है : यदि मेरिडियन के पूर्व में स्थित स्थान पर जन्म हुआ है तोअक्षांश की प्रत्येक डिग्री पर उस देश के निर्धारित समय में ४ मिनट जोड़े और यदि जन्मस्थान मेरिडियन के पश्चिम में स्थित है तो अक्षांश की प्रत्येक डिग्री पर निर्धारित समय से ४ मिनट घटायें I
४. ठीक स्थानीय समय ज्ञात करने के बाद, उस वर्ष का पंचाग ले और ज्ञात किये गये समय- दिन तथा मास के पृष्ठ पर ग्रहीथ स्थिति दी गयी है I प्रायः आधुनिक पंचाग उस दिन के प्रातः ५:३० बजे ग्रहीय स्थिति दर्शाते है I वहाँ से सूर्य, चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों की ठीक डिग्री लिख span lang="EN-IN">ले, जिन पर की वो स्थित है I
५. उपरोक्त प्रणाली से आपको चन्द्रमा की सही स्थिति का पता चल जायेगा I अब चन्द्रमा की डिग्री के आधार पर स्थिति से नक्षत्र का पता करे I जन्म के समय जिस नक्षत्र में चन्द्रमा स्थित है, वही जन्म नक्षत्र है I
६. चन्द्रमा की भांति अन्य ग्रहों की स्थिति भी डिग्रियों के आधार पर निकाले और ग्रहों की स्थिति किस नक्षत्र में पता लगाए I
७. अब जातक का लग्न मालुम करे I
Nakshatra Phal (Volume 2) Nakshtra Par Aadharit Dasha Phal [Hindi]