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Maikada E Murshid [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
मैकदा - ए - मुर्शिद
‘मैकदा - ए - मुर्शिद ' (मुर्शिद वाणी -४) मेरी सूफी गजलो का चौथा संग्रह हैI साधना की दृष्टि से इन गजलो का महत्व संत वाणी की तरह ही है I बहुत से मित्रो का आग्रह रहा है की कुछ अपनी मौलिक रूहानी बात कहु I मेरे भीतर खुद भी संतवाणी या सुफीवाणी के रूप में कुछ कहने का भाव बहुत दिनों से चल रहा था I' मैकदा - ए - मुर्शिद ' इन्ही सब का परिणाम है I
ग़ज़ल उर्दू काव्य की एक विधा है, जिसमे प्रायः ५ से ११ शेर होते है I सारे शेर एक ही रदीफ़,(अन्त्यानुप्रास)और क़ाफ़िए (पूर्व अत्यानुप्रयास) में होते है और हर शेर का मज़्मून अलग होता है I जैसे 'चुपके- चुपके रात -दिन आंसू बहाना याद है ' नामक प्रसिद्ध गजल में 'बहाना' काफिया है और 'याद है' रदीफ़ है I हर शेर का मज़्मून अलग होता है I पहला शेर 'मत्ला' कहलाता है, जिसके दोनों मिस्रे सानुप्रास होते है I अंतिम शेर 'मक्ता' कहलाता है, जिसमे शायर अपना उपनाम लाता है I ग़ज़ल के संग्रह को 'दीवान 'कहते है I इस संग्रह को मैंने ‘मैकदा -ए - मुर्शिद ' कहना ज्यादा उचित समझा I
ये सभी गजले कामिल मुर्शिद और मेरे प्यारे गोविन्द की याद से लवरेज है I
Maikada E Murshid