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लाल किताब के बारे में छपी किसी भी पुस्तक में लाल किताब में पितृ - ऋण का किसी भी रूप में विस्तार तथा व्याख्या नहीं दी गई l वास्तव में ज्योतिषी की पाराशरी और दूसरी पद्धतियों में भी पितृ - ऋण यानी पैतृक दोष के बारे में कोई विशेष पुस्तक नहीं है l इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता इसलिए है कि पाठको को अपने बुजुर्गो के लिए हुए दुष्कर्मो के फल भोगने के क्या सिद्धांत है, तथा उन दुष्कर्मो के प्रभाव को जानने की निशानिया क्या है तथा उनके विशेष उपचार क्या है - इन सबकी जानकारी हो सके l
ज्योतिष की कई पद्धतियों में विशेष दोषो के लिए जो उपाय का तरीका है वह बिना किसी हेतु के दिया गया है l जैसे कर्मकांड के विद्वान पितृ दोष का मतलब हमारे किसी बुजुर्ग की आत्मा की सद्गति न होना मानते है, जिसके लिए पिंडदान आदि या पवित्र नदियों के विशेष स्थानों पर जाकर पूजा- पाठ का विधान है ; किन्तु लाल किताब में पैतृक दोष को सुचारु ढंग से समझा गया है l