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Jyotish aur Santan Yog [Hindi]

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Jyotish aur Santan Yog [Hindi] by

Bhojraj Dwivedi

Publisher: Diamond Books

ज्योतिष और संतान योग

संसार का प्रत्येक मनुष्य, स्त्री या पुरुष चाहे किसी भी जाति, धर्म, व् सम्प्रदाय का क्यों न हो ? अपना वंश आगे चलाने की प्रबल इच्छा उसके ह्रदय में प्रतिपल प्रतिक्षण विधमान रहती है l रजोदर्शन के बाद स्त्री -पुरुष के संसर्ग से संतान की उत्पत्ति होती है, वंश बेल आगे बढ़ती है, परन्तु कई बार प्रकृति विचित्र ढंग से इस वंश वृक्ष की जड़ को ही रोक देती है l डॉक्टर लोग कहते है कि स्त्री- पुरुष दोनों में संतान उतपन्न करने की क्षमता है, कोई दोष नहीं फिर भी संतान नहीं होती प्रकृति की लीला विचित्र है किसी को कन्या ही कन्या  होती है तो कोई पुत्र के लिए तरसता है, तो कोई अनेक पुत्र होते हुए भी पुत्र की कामना से पीड़ित है l अनेक सज्जन अपने सुयोग्य पुत्र की कीर्ति से फुले नहीं समाते, होने वाली संतान सुपुत्र होगी या कुपुत्र विज्ञान के पास इनका कोई जबाब नहीं ? जब पति - पत्नी दोनों में कोई दोष नहीं है तो संतान क्यों नहीं हो रही है ? कब होगी ? व् क्या होगी ? मृतसंतति, ान गर्भायोग, यमल संतति इसका जबाब ज्योतिष विज्ञान के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है, वस्तुत: संतान पूर्वजन्म के संचित पाप और पुण्य के रूप में इस जन्म में प्रकट होती है l

इस पुस्तक में इस प्रकार की सभी शंकाओ, समस्याओ का समाधान ढूंढने का प्रयास किया गया l आपकी कुंडली में कितने पुत्रो का योग है ? कितनी कन्याए होगी ? प्रथम कन्या होगी या पुत्र ? आने वाली संतति कपूत होगी या सपूत ? हमने प्रैक्टिकल जीवन में ऐसे अनेक प्रयोग किए है जब डॉक्टरों द्वारा निराश हुए दम्पतियो को ज्योतिषीय उपाय, रत्न एवं मंत्र चिकित्सा से तेजस्वी पुत्र संतति की प्राप्ति हुई है, अत : यह पुस्तक मानवीय सभ्यता के लिए अमृत औषध है l

 

 

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