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Jeevan Oorza ke Rahasya [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
जीवन ऊर्जा के रहस्य
भारतीय मनीषी हज़ारो वर्षो से कहते आए है कि यह जगत ऊर्जा का ही खेल है और ऊर्जा का स्रोत है शब्द है ओंकार I विराट जगत सूक्ष्मतम ओंकार से निर्मित है I हमारे मनीषियों ने उस ऊर्जा पर चिंतन किया और उसी पर असंख्य प्रयोग किये है I यह बात अध्यात्म मार्ग के सभी साधको के लिए अनुभवगम्य है कि परमात्मा की ऊर्जा सदा बरसती रहती है I मनुष्य जितना उसका अहसास करेगा, उतना ही परमात्मा के निकट पहुचेगा I
स्थूल शरीर से जो ऊर्जा प्रकट होती है, वह स्थूल शरीर के भीतर जो सूक्ष्म शरीर है उसमे स्थित है I उसे ऊर्जा स्रोत या 'एनर्जी बॉडी' कहते है I योग ने इस सूक्ष्म शरीर में स्थित सात चक्रो के माध्यम से ऊर्ध्वगमन की बात की है I सबसे निचे मूलाधार चक्र से ऊर्जा को उठाते हुए भीतर के सूक्ष्म चक्रो क्रमश : स्वाधिष्ठान, मणीपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा से गुजरकर अन्ततः सहस्त्रार में पहुचना ही आध्यात्मिक मार्ग की मंजिल है I यही प्रभु मिलन है और यही पहुचकर साधक उद्दघोष कर उठता है 'अहम ब्रह्मासिम I '
इस ऊर्जा को जगाने के लिए साधक, प्राणायाम या योग का सहारा लेता है I
परमात्मा ने जो हमे दिया है उसके प्रति धन्यवाद से भरना ही पार्थना है I दिव्य ऊर्जा से ओत - प्रोत व्यक्ति ही अहोभाव में डुब सकता है I यह किताब उसी भागवत शक्ति के रहस्यो को उजागर कर, उसे जगाने की विधि सिखा सकेगी I
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