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जन्त्रपनी स्वय देखिए
बड़े-बडे शास्त्र ग्रंथो के 'सार सार को गहि रहे' शैली में पाएं निचोड़ को इस लघुकाय ग्रन्थ में केवल 341 श्लोकों में समेटकर, जन्मपवी से फल कहने की सरल सुगम और सटीक परिपाटी बनाते हुए प्रसिद्ध मूलग्रन्थ (क्लासिक ) को हिन्दी व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया गया हे-
० पचासों उसकी उदाहरणों से नियमों की परीक्षा ।
० कारक, विशेष कारक और मारक ग्रह का सरल निर्णय.
० भावों का चमत्कारी फल कहने की अनूठी विधिया ।
० फल पाने के समय का सहीं निश्चय ।
० दशाओं का फल कहने की कुछ खास युक्तियां, अन्यत्र दुर्लभ ।
०काम में सफलता की दशा व दिशा, प्रकृति व मात्रा का पूर्व ज्ञान ।
०उपग्रहों से फल कहने की विलक्षण विधि ।
०कुण्डली के मर्मस्थानों का निर्मम खुलासा: इनसे बचे बने बड़भागी ।
० कष्ट मिटाने के सर्वसामान्य मंत्रों सहित ।