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Grah Nakshtron Dwara Bhagya Nirmaan, Author - Dayanand Verma
ग्रह-नक्षत्रों द्वारा भाग्य-निर्माण का वैज्ञानिक-आधार-
यह लेख पामिस्ट्री-गुरु दयानंद वर्मा तथा निशा धई के मध्य समय-समय पर होने वाले संवाद का सारांश है
निशा
ज्योतिष और पामिस्ट्री मेरे प्रिय विषय हैं | इन दौनों विद्याओं का स्टडी और प्रैक्टिस करते समय मेरे मन में यह प्रश्न उठता रहता हैक हमसे असंख्य मील दूर अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले ग्रह-नक्षत्र मनुध् के भाग्य को कैसे प्रभावित करते हैं?
आपने अध्यात्म, मनोविज्ञान तथा साहित्यिक विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं और हस्तरेखाओं पर नए सिद्धांत स्थापित किए हैं। अंतरिक्ष विज्ञान तथा ज्योतिष के सिद्धांत-पक्ष पर आपकी रुचि मै जानती हूँ | आपकी इन विशेषताओं को देखकर मैं आपसे जानना चाहती हूं कि दूर आकाश के ग्रह-नक्षत्रों का मनुष्य के भाग्य से संबंध का क्या क्या आधार है ?
दयानंद
जो प्रश्न तुमने मेरे सामने आज रखा है, वह मेरे मन में लंबे समय से चल रहा है | इस प्रश्न का उत्तर मुझे अपने भीतर से एक प्राचीन सूक्ति के रूप में मिला है | वह सूक्ति है, “यत् ब्रह्मां डे, तत् पिंडे'।
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