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दाग की शायरी
इतिहास में एक से बढ़कर एक ऐसे शायर हुए है, जिनका नाम किसी तआरुफ़ का मोहताज नहीं है l दाग उन्हीं अजीम शायरों में शामिल है l शायरी की दुनिया में उनका नाम बड़े अदब से लिया जाता है l 'मीर ' मोमिन, जौक और ग़ालिब के साथ ही दाग एक ऐसे शायर थे, जिन पर उर्दू अदब को नाज है l उनके शेर पढ़कर जुबां से अनायास ही वाह-वाह निकल पड़ती है :-
तुम्हारे खत में नया इक सलाम किसका था l
न था रकीब तो आखिर वह नाम किसका था
है मेरे दिल की तबाही पे तअज्जुब क्या खूब
आप बरबाद करे जिसको वो बरबाद न हो l
'दाग' को हमने मोहब्बत में बहुत समझाया
वह कहा मान न लेता अगर इन्सा होता l
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