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भृगु संहिता (फलित दर्पण )
कुंडली मारकर बैठा हुआ सर्प देखने में कितना निष्क्रिय लगता है जबकि असल में, उस समय वह सारी सक्रियता को अपने में समेटे रहता है l यही बात जन्मकुंडली के बारे में भी है l कुछ रेखाओ, शब्दों एवं अंको के बीच अतीत, वर्तमान और भविष्य - तीनो छिपे होते है l ज्योतिर्विन्द इन्ही को उजागर करते है l
इस ग्रन्थ में ज्योतिष के फलित पक्ष को ही लिया गया है l विभिन्न भावो में ग्रहो के प्रभाव, दशाए, अंतरदशाए तथा ग्रहो के योग से बनने वाले विशेष योग आदि को कुंडलियो के माध्यम से समझाया गया है l
वर्षो पूर्व महर्षि भृगु ने जन्मकुंडली की सभी संभावनाओं को समक्ष रखकर उन्हे रेखांकित किया था, उन्ही के संग्रह को 'भृगु संहिता' कहते है l मान्यता के अनुसार, इस संग्रह में सभी संभावित कुण्डलिया है l उनका फलित भी इसमें दिया गया है, जिससे जातक के अतीत, वर्तमान और भविष्य की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है l
जिज्ञासुओ और विद्वानों - दोनों के लिए यह ग्रन्थ एक समान उपयोगी सिद्ध होगा, ऐसा विश्वास है l