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Balam Basyo Videsh - Sant Mat 5 [Hindi] by
Publisher: Limass Foundation
बालम बस्यो विदेश - संत मत -5
संतो ने विरह के बड़े प्यारे गीत गाए है I भक्तो ने विरह के इतने अनूठे गीत गाए है कि कभी -कभी तो लगता है, क्या इन्होंने परमात्मा को जाना नही है I विरह की पीड़ा, विरह का दर्द, बड़े अनूठे शब्दो में व्यक्त किया है I संत कहता है मेरा पिया प्रदेश में रहता है और पिया के बिना जीना, इस शरीर में रहना बड़ा कठिन हो रहा है I जो भक्तो ने गीत गाए है विरह के, ये गीत उनके आनंद के प्रतीक है I इस पीड़ा में भी आनंद है, इस भक्ति में आनंद है, इस विरह में भी आनंद है I भक्ति जब शिखर छूती है, तो शरणागत भाव का जन्म होता है और अहंकार के लिए कोई जगह बचती नही I जैसे जल में मछली रहती है,जल ही उसका जीवन है I जल से उसे निकाल दो तो तड़प- तड़प कर अपना प्राण दे देती है I ऐसे ही हम परमात्मा के जल में जीते है और परमात्मा के बिना जीना बड़ा मुश्किल हो जाता है I परमात्मा को जानना, उसके प्रेम में पड़ना, उसकी विरह में पड़ना, यही जीवन का साध्य है I
साधको के लिए इन प्रवचनों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है I सद्गुरु ने स्वयं इनका संपादन एवं संशोधन किया है I