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अघोरी साधु को औघड़ भी कहा जाता है। “अघोरी” उसे कहा जाता है जिसके भीतर अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, प्रेम-द्वेष, ईर्ष्या-मोह जैसे समस्त भाव नष्ट हो चुके हों । ये अघोरी कई बार अनेक दिन तक शमशान साधना करने के बाद हिमालय या जंगल में विलीन हो जातेहें।
पहली बार अघोरी तन्त्र की यह पुस्तक अघोरी बाबा के आशीर्वाद से ही प्रकाशित हुई है । इसमें दिये गये मन्त्र, साधना व ठोटके अघोरी साधु की अनुमति से ही प्राप्त हुए है। ये अघोरी टोटके एवं साधना के प्रयोग इससे कहीं भी एकत्रित रूप से प्रकाशित नही हुए हैं | अघोरी पंथ का परिचय एवं अघोरियों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले अघोर मन्त्रों का संकलन इस पुस्तक की विशिष्टता है |
अघोरी शाबर तथा अघोर शिव साधना यन्त्र इस पुस्तक का विशेष आकर्षण हें |
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |