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आतिश की शायरी
'आतिश' का असली नाम था - ख्वाजा हैदर अली l अपने नाम के अनुरूप उनकी शायरी में आग - सी धधक है, रोशनी है और फकीरो -सा फक्करपन भी है l दिल्ली में जन्मी, दकन में पत्नी और लखनऊ में परवान चढ़ी उर्दू जुबान को सवारने में जिन उस्ताद शायरों ने दिलचस्पी दिखाई, उनमे आतिश भी शामिल है l पेश है - उर्दू अदब के प्रेमियों के लिए आतिश की आतिशी शायरी के कुछ चुनिंदा कलाम l
गुनहगारों की गर्दन मारते है हुक्म - शरव से
ख्याल अपने गुनाहो का नहीं जल्लाद करते है
सामने आइना रखते तो गश आ जाता
तुमने अंदाज़ नहीं अपनी अदा का देखा
आँख पाते ही ख़याले -यार ने की दिल में राह
मिल ही रहता है मकां जिसका पता मालुम हो
कौन - सा दिल है नहीं जिसमे खुदा की मंजिल
शिकवा किस मुँह से करू में बुते -रानाई का