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वास्तु शास्त्र का रहस्य (part-1)
वास्तु शास्त्र भवन निर्माण की प्राच्य विधा है, जो हमें प्रकृति के ऊर्जा क्षेत्रो से तालमेल बिठाने की कला सिखाती है l पंच महातत्व अर्थात जल, पृथ्वी, अग्नि,वायु और आकाश से उतपन्न ऊर्जा बहुधा रश्मि या प्रकाश किरण सरीखी सीधी चलकर प्रवर्तित हुआ करती है l ऊर्जा का अनुभव भूखंड के आकर -प्रकार पर निर्भर करता है l भौतिक स्तर पर ऊर्जा के शुभ प्रभाव में, भवन की लंबाई, चौड़ाई व् ऊंचाई के परस्पर अनुपात की महत्वपूर्ण भूमिका हुआ करती है l
वर्गाकार आकृति को श्रेष्ठतम तथा उसके बाद आयताकार को भी उत्तम माना जाता है l हाँ, आयताकार भूखंड में लंबाई, चौड़ाई के अनुपात का विचार करना आवश्यक है l ऐसी बात नहीं है क़ि अन्य आकार के भूखंड का भवन निषिद्ध है अथवा पश्चिम या दक्षिण दिशा के भूखंड मात्र मुसीबते बढाते है l किन्तु सत्य यही है क़ि आकृति का सीधा सम्बन्ध ऊर्जा क्षेत्र के निर्माण से जुड़ा है l विषम आकृति,जैसे त्रिकोण, पंचकोण या वृताकार भवन, ऊर्जा उत्पादन और वितरण में असंतुलन पैदा करते है I यदि वर्गाकार अथवा आयताकार भूखंड /भवन में लंबाई, चौड़ाई व् ऊंचाई के परस्पर अनुपात की अनदेखी की जाए तब वह भी शायद विषम आकृति सरीखा अशुभ व् अनिष्टप्रद हो जाएगा I कारण -यह भूखण्ड वांछित ऊर्जा या शक्ति तरंगे उत्पन्न नहीं कर पाएगा I
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |